राजीव जैन

जयपुर।  राजस्थान में आयुर्वेद चिकित्सा का बुरा हाल है। प्रदेश में सरकार निरोगी राजस्थान अभियान चला रही है पर आयुर्वेद की दशा सुधारने की तरफ सरकार का कोई ध्यान ही नहीं है। प्रदेश में सात साल से आयुर्वेद के तीन हजार डॉक्टर सरकारी नौकरी का ही इंतजार कर रहे हैं। इंडियन मेडिसन बोर्ड में राजस्थान के 10 हजार 600 आयुर्वेद डॉक्टर पंजीकृत हैं। इसी तरह से आयुर्वेद नर्स और कंपाउंडर के भी 4088 में से एक हजार से ज्यादा पद रिक्त होने से महकमे की हालत ही खराब है।

प्रदेश में आयुर्वेद के नेटवर्क में जोधपुर में विश्वविद्यालय भी है। इसके अलावा उदयपुर में आयुर्वेद कॉलेज और जयपुर में विश्व स्तरीय राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान प्रमुख हैं। जोधपुर और अजमेर में सरकारी आयुर्वेद नर्सिंग कालेज के अलावा सरकार की भरतपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर और बारां में आयुर्वेद रसायन शाला है जिनमें दवाइयां तैयार होती हैं। प्रदेश में 3699 आयुर्वेद औषधालय, 14 मोबाइल यूनिट, 39 प्राकृतिक व योग चिकित्सा केंद्र और 35 पंचकर्म केंद्र है।

आयुर्वेद चिकित्सा विभाग के मुताबिक ही 41 अस्पतालों में तो एक भी डॉक्टर नहीं है। ग्रामीण अंचलों में आयुर्वेद के औषधालयों की हालत तो बहुत ही बुरी है। प्रदेश के 75 फीसद से ज्यादा आयुर्वेद अस्पतालों में मरीजों के लिए जरूरी दवाओं के साथ ही पीने के पानी का इंतजाम नहीं है। आयुर्वेद दवाओं को बनाने की सरकारी रसायन शालाओं में बाजार दर से कई गुना महंगी दवाएं बन रही हैं। प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा और शिक्षा पर सरकार ने वर्ष 2012 से 2017 तक 2655 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन हालात अभी भी बदतर हैं। ग्रामीण इलाकों में पंचायत स्तर तक औषधालय मौजूद हंै। इस चिकित्सा व्यवस्था का सरकार सही तरीके से उपयोग करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है।

विभाग की खामियों को दूर करने के लिए सरकार पूरे प्रयास कर रही है। आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा पद्वतियों को बढावा देने के लिए सरकार ने इसके बजट में बढ़ोतरी की है और इनके चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के पदों को बढ़ाया है। सरकार के निरोगी राजस्थान अभियान में आयुर्वेद को महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके विशेषज्ञों से सलाह लेकर सरकार इसके प्रसार प्रचार को प्राथमिकता देगी। आयुर्वेद सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्वति है, इसी कारण से हमने मेडिशनल प्लांटेशन बोर्ड का पुर्नजीवित किया है ताकि आयुर्वेद औषधियों की खेती का बढावा मिले।
-रघु शर्मा, आयुर्वेद चिकित्सा मंत्री

राजस्थान में आयुर्वेद और देसी चिकित्सा का चलन बहुत पुराना है। देश में राजस्थान ही एकमात्र ऐसा प्रदेश है जहां आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा का अलग विभाग है। सरकार निरोगी राजस्थान अभियान को पूरे जोर शोर से चला रही है। सरकार के इस कदम में आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली कारगर साबित हो सकती है। आयुर्वेद चिकित्सा की दुर्दशा के लिए नौकरशाही का रवैया जिम्मेदार है। नौकरशाही आयुर्वेद को दोयम दर्जे का मानती है और उसी तरह का बर्ताव इस चिकित्सा से कर रही है।
-रघुनंदन शर्मा, आयुर्वेद विभाग के सेवानिवृत चिकित्सक