तमिलनाडु की राजनीति में बीते 3 दशकों से हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन होता रहा है, लेकिन इस बार जयललिता ने लंबे वक्त से चले आ रहे इस क्रम को तोड़ दिया। इसी के साथ वह अपने राजनीतिक गुरू एमजी रामचंद्रन के बाद यह कारनामा करने वाली इकलौती नेता बन गईं हैं। गौरतलब है कि पिछले 30 सालों से तमिलनाडु में एक बार AIDMK और फिर दूसरी बार DMK की सरकार बनती है। कई चुनाव विशेषज्ञ इस बार भी ऐसा ही होने के कयास लगा रहे थे, लेकिन जयललिता ने इन कयासों को गलत साबित कर दिया। अभिनय की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाली 68 वर्षीय जयललिता ने विरोधी पार्टियों को पटखनी देते हुए जीत दर्ज की है।
गौरतलब है कि साल 2011 के विधानसभा चुनाव में AIDMK के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 203 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। इसमें AIDMK को 150, DMK को 29, माकपा को 10 और भाकपा को नौ सीटें मिली थीं। इस बार भी अन्नाद्रमुक ने कुछ इसी तरह की शानदार चुनावी कामयाबी हासिल की है। इससे पहले MGR ने 1984 के चुनाव में लगातार तीसरी जीत दर्ज करके सरकार बनाई थी और 24 दिसंबर, 1987 को हुई मृत्यु तक मुख्यमंत्री रहे।
MGR के निधन के बाद उनकी वाजिब सियासी वारिस के तौर पर सामने आईं जयललिता को तमिलनाडु की राजनीति में पहली सफलता 1991 के विधानसभा चुनाव में मिली जब उनके नेतृत्व वाले अन्नाद्रमुक-कांग्रेस गठबंधन को 294 में से 225 सीटें मिलीं, हालांकि अगले चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा कि एक बार AIDMK और अगली बार DMK सरकार बनाएगी। इस बार जयललिता ने अपने गुरू एमजीआर की ही तरह लगातार दूसरी बार कामयाबी हासिल की।