जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए कर्नल संतोष महादिक का गुरुवार को सतारा (महाराष्‍ट्र) के गांव पोगरवाड़ी में 21 तोपों की सलामी के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनका पार्थिव शरीर बुधवार देर रात जम्मू से पुणे और फिर वहां से सतारा लाया गया था। अंतिम संस्कार से पहले महादिक को श्रद्धांजलि देने के लिए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर समेत कई हस्तियां पहुंचीं। बुधवार शाम पुणे एयरपोर्ट से महादिक का पार्थिव शरीर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ले जाया गया, जहां पर आर्मी के आला अफसरों के साथ महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी उन्‍हें श्रद्धासुमन अर्पित किए थे।

आतंकियों के साथ एनकाउंटर में शहीद हुए महादिक 41 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग अफसर थे। बाद में वह 21 पैरा-स्पेशल कमांडो यूनिट में रहे और कई ऑपरेशन्स में भी शामिल रहे। 38 साल के महादिक को सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था। उनके परिवार में माता-पिता, 100 साल से अधिक उम्र के दादा, पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है। उन्‍होंने 1998 में आर्मी ज्‍वाइन की थी। महादिक ने अगस्त में भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी को पैराग्लाइडिंग की ट्रेनिंग भी दी थी।

13 नवंबर को हुआ था एनकाउंटर
सेना को 13 नवंबर को कुपवाड़ा के हाजी नाका के घने जंगलों में आतंकियों के छिपे होने सूचना मिली थी, जिसके बाद सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। ऑपरेशन के पहले दिन ही 2 जवान घायल हो गए थे। कुपवाड़ा में 10 नवंबर को आर्मी के जवानों ने एनकाउंटर में एक आतंकवादी को ढेर कर दिया था। इसके बाद आतंकियों ने कर्नल संतोष की टीम पर हाजी नाका के घने जंगलों में हमला बोला और इसी दौरान कर्नल गंभीर रूप से जख्‍मी हो गए थे। उन्‍होंने बीते मंगलवार को अंतिम सांस ली थी।