संचार के आधुनिक साधनों में संवाद के लिए मोबाइल फोन पर लोगों की निर्भरता आज जगजाहिर है। वहीं मोबाइल कंपनियों ने अच्छी सेवा देने के वादे के साथ ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है। लेकिन जिन वादों पर भरोसा करके लोग किसी कंपनी की मोबाइल सेवा का उपयोग करते हैं वे न केवल उलट साबित होते हैं, बल्कि सेवा आमतौर पर मानकों से खराब स्तर की पाई जाती है। खासतौर पर कॉल ड्रॉप यानी मोबाइल पर दो लोगों के बीच हो रही बातचीत अचानक बीच में कट जाना एक आम समस्या हो चुकी है।
इसलिए प्रधानमंत्री ने उचित ही कॉल ड्रॉप को लेकर चिंता जताई है और अधिकारियों को जल्दी से जल्दी इसका समाधान निकालने को कहा है। एक साधारण उपभोक्ता मोबाइल कंपनियों की ओर से प्रचारित इस बात को मान लेता है कि नेटवर्क में बाधा आने के चलते ऐसा हो रहा है। दरअसल, ज्यादातर उपभोक्ता कंपनियों की तकनीकी मनमानी से अनजान रहते हैं। अगर कोई शिकायत करता भी है तो कंपनियों की ओर से कोई तकनीकी बहाना बता कर उसे चुप कर दिया जाता है। लेकिन सच यह है कि कॉल ड्रॉप की समस्या जितनी टावरों की कमी और नेटवर्क से जुड़ी है, उससे ज्यादा यह गलत तरीके से मुनाफा बढ़ाने की मंशा से पैदा हुई है।
प्रति सेकेंड के हिसाब से चलने वाली बातचीत में बार-बार फोन कटने से एक हद तक पैसे की उतनी बरबादी नहीं होती, लेकिन यह ऊब और परेशानी की वजह जरूर है। इसके बरक्स प्रति मिनट की दर से या कुछ निर्धारित नंबरों पर मुफ्त बात करने की सुविधा के दौरान अगर कुछ सेकेंड के बाद कॉल ड्रॉप होती है तो पैसे पूरे मिनट के कट जाते हैं। इसके लिए अब तक कंपनियां अपने पास स्पेक्ट्रम नहीं होने का बहाना बनाती आ रही थीं। लेकिन सरकार ने इस शिकायत को दूर करना शुरू कर दिया है। इसके बावजूद पिछले कुछ समय से यह समस्या तेजी से बढ़ती गई और मजबूरन लोगों के सामने शिकायत दर्ज कराने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।
जब इस मुद्दे ने तूल पकड़ना शुरू किया तब पिछले महीने दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा था कि कंपनियां अगर कॉल ड्रॉप से निजात नहीं दिलातीं तो उन्हें अपने उपभोक्ताओं को हर्जाना देना होगा। वर्ष 2013 में ट्राई यानी भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। वजह यह थी कि जांच के दौरान उनकी सेवा की गुणवत्ता तय मानकों के मुकाबले काफी खराब पाई गई। ट्राई की रिपोर्ट में यह भी पाया गया था कि पिछले साल जून में सभी थ्री-जी टेलीकॉम सेवा के चौदह फीसद तक कॉल ड्रॉप हुए थे। जाहिर है, कंपनियां अपने उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता वाली सुविधा मुहैया कराने के लिए पर्याप्त निवेश नहीं कर रही हैं।