देश के महा पंजीयक ने मंगलवार को 2011 में हुई जनगणना के धार्मिक आंकड़े जारी कर दिए। स्वाभाविक ही यह सवाल उठा है कि क्या इसका वक्त बिहार चुनाव के मद्देनजर सोच-समझ कर तय किया गया? वर्ष 2001 की जनगणना के धार्मिक समुदायों से संबंधित तथ्य 2004 में आए थे। इसलिए अनुमान था कि इस बार उस तरह के आंकड़े 2014 में आएंगे। मगर इसमें विलंब हुआ, अलबत्ता कुछ चुनिंदा जानकारी जरूर लीक हो गई थी। जनता दल (एकी), राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, द्रमुक जैसी कई पार्टियां मांग करती रही हैं कि नई जनगणना के जातिगत आंकड़े जारी किए जाएं।
इस पर सरकार कहती रही कि एलान उसे नहीं, महा पंजीयक को करना है। लेकिन धार्मिक आंकड़े जारी होने से जाहिर है कि इस तरह का फैसला सीधे सरकार करती है। बहरहाल, ये आंकड़े बताते हैं कि 2011 में देश की कुल जनसंख्या एक सौ इक्कीस करोड़ थी। धार्मिक कोण से देखें तो मुसलिम समुदाय की आबादी बढ़ने की गति अन्य समुदायों से अधिक रही। वर्ष 2001 से 2011 के दौरान उनकी जनसंख्या में 24.60 फीसद की बढ़ोतरी हुई, जबकि हिंदुओं की जनसंख्या में 16.76 फीसद की।
इस तरह देश की कुल जनसंख्या में हिंदुओं का अनुपात जहां 2001 में 80.45 फीसद था, वहीं अब यह अस्सी फीसद से तनिक नीचे आ गया। दूसरी ओर, मुसलिम आबादी का अनुपात 2001 में जहां 13.4 फीसद था, वहीं 2011 में 14.2 फीसद हो गया। इस फेरबदल के पीछे जहां कुछ सामाजिक पहलू हो सकते हैं, वहीं कुछ धार्मिक कारण भी। यह अनुमान भी सहज ही लगाया जा सकता है कि इन आंकड़ों का सियासी इस्तेमाल करने की कोशिशें होंगी।
राजनीति के खेल अपनी जगह हैं, पर ये आंकड़े कुछ और भी हकीकत बयान करते हैं। 2001 से तुलना करें, तो मुसलिम आबादी की वृद्धि दर में पांच फीसद की कमी दर्ज हुई है। यही नहीं, इस दशक में उनकी वृद्धि दर आजादी के बाद सबसे कम रही। यह रुझान शिक्षा-दीक्षा, परिवार की उम्मीदों और साथ ही छोटे परिवार की धारणा की धीरे-धीरे बढ़ती गई स्वीकार्यता के असर की ओर ही इशारा करता है। सर्वाधिक मुसलिम वृद्धि दर 1991 की जनगणना में दर्ज हुई थी, 32.88 फीसद।
उसके बाद की दोनों जनगणना में कमी आई है। हिंदुओं में वृद्धि दर घटने का क्रम पिछली तीन जनगणना से लगातार बना रहा है। यह भी गौरतलब है कि हिंदू वृद्धि दर और मुसलिम वृद्धि दर का अंतर कम हुआ है। मुसलिम वृद्धि दर 1991 और 2001 में हिंदुओं के मुकाबले करीब दस फीसद अधिक थी, पर 2011 में यह अंतर आठ फीसद का रह गया। बेशक मुसलिम वृद्धि दर अब भी औरों से ज्यादा है, पर आंकड़े वृद्धि दर का अंतर घटने का रुझान पेश करते हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों से स्त्री-पुरुष अनुपात सुधरने के भी संकेत मिलते हैं। इस जनगणना के मुताबिक हिंदुओं में प्रति हजार पुरुषों पर 939 स्त्रियां हैं, जबकि 2001 में उनका अनुपात 931 था। मुसलिम समाज में प्रति एक हजार पुरुषों पर 951 स्त्रियां हैं, जबकि दस साल पहले यह आंकड़ा 936 था। जनगणना के आंकड़ों को उनके पूरे परिप्रेक्ष्य में देखना होगा।