इस बार अप्रैल में ही बाकी सालों के मुकाबले मौसम में जिस तेजी से गरमी महसूस की गई, उससे यह आशंका पहले से ही थी कि हवा के दबाव की वजह से असमय ही आंधी या बरसात कहर बरपा सकती है। पर बुधवार को राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र सहित अन्य कुछ राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में तेज रफ्तार की आंधी के साथ बेमौसम बारिश ने जैसा कहर ढाया, उसका अनुमान नहीं था। यों एक दिन पहले से मौसम में तेज बदलाव के संकेत दिखने लगे थे। मगर अगले दिन बरसात और आंधी की वजह से जहां संपत्ति और खेत में कटे पड़े गेहूं की फसल के साथ-साथ आम और लीची को काफी नुकसान हुआ, वहीं ओलावृष्टि, बिजली गिरने और लगातार बारिश की वजह से पचास से ज्यादा लोगों की मौत की खबरें आर्इं। अकेले राजस्थान में इक्कीस लोगों की जान चली गई, जबकि मध्यप्रदेश में पंद्रह लोगों की मौत हो गई।
इतने बड़े नुकसान के बाद फिलहाल गनीमत यही है कि बारिश की वजह से चक्रवात जैसी भयावहता की आशंका टल गई लगती है, लेकिन मौसम में अचानक उतार-चढ़ाव की स्थितियों की अनदेखी कई बार भारी पड़ जाती है। यों अप्रैल महीने में बढ़ती गरमी के चलते मौसम में काफी दबाव होता है और उतार-चढ़ाव की वजह से आंधी और ओलावृष्टि की आशंका बनी रहती है। मौसम पर नजर रखने वाली एक एजेंसी के आकलन के मुताबिक उत्तरी पाकिस्तान में एक पश्चिमी विक्षोभ बना है, जिससे चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान पर मौजूद है। इसी वजह से मौसम में ऐसा तेज बदलाव देखा गया और बड़ा नुकसान हो गया।
हालांकि अभी यह खतरा टला नहीं है, मौसम विभाग ने उत्तर और पूर्वोत्तर के राज्यों में आंधी-तूफान और बारिश की चेतावनी जारी की है। ज्यादा जोखिम उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि मैदानी इलाके वाले राज्यों पर है। जाहिर है, इन राज्यों की सरकारों को सतर्क रहने की जरूरत है। मुश्किल यहीं खड़ी होती है कि जब मौसम सामान्य रहता है तो आम लोगों से लेकर सरकारें तक निश्चिंत रहती हैं। जबकि मौसम की अपनी गति होती है और पर्यावरण में होने वाली उथल-पुथल की वजह से उसमें अचानक ही कोई बड़ा बदलाव हो सकता है।
एक शोध के मुताबिक पिछले कुछ समय से देश के एक ही क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में बरसात की स्थितियों में काफी फर्क देखा गया है। इसकी सबसे बड़ी वजह प्रदूषण और जलवायु में बदलाव को माना गया है। शायद यही वजह है कि एक ही समय में देश के किसी इलाके में बाढ़ होती है तो कहीं सूखे का सामना करना पड़ता है। अक्सर असमय तेज बरसात, आंधी या तूफान की वजह से जानमाल का बड़ा नुकसान होता है, लेकिन इससे सबक लेकर मौसम का सामना करने के लिहाज से किसी पूर्व तैयारी पर शायद ही कभी ध्यान दिया जाता है। फिर जब आंधी या बरसात की वजह से काफी तादाद में लोगों की जान चली जाती है, तब राहत पहुंचाने का दावा किया जाता है। दुनिया भर में ऐसे उदाहरण भी मौजूद हैं कि किसी इलाके में तूफान या चक्रवात आदि के मद्देनजर लोग तैयार रहते हैं और सरकारें भी बचाव और राहत के लिए पूर्व तैयारी रखती हैं। सिर्फ इतनी कोशिश से कई बार काफी लोगों की जान बचाने और संपत्ति को नुकसान न पहुंचने देने में कामयाबी हासिल की गई है।