पिछले कुछ समय से अलग-अलग वजहों से जिस तरह रेल हादसों और उनमें लोगों की जान जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, वह चिंता का विषय है। लेकिन आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में ताजा रेल हादसा वैसी दुर्घटनाओं से अलग है, जिनमें आमतौर पर रेल महकमे की लापरवाही या अनदेखी सामने आती है। दरअसल, सोमवार को ग्रेनाइट पत्थरों से भरे एक तेज-रफ्तार ट्रक ने मदाकासिरा में स्थित एक फाटक को तोड़ते हुए वहां से गुजर रही बेंगलुरु-नांदेड़ एक्सप्रेस को जोरदार टक्कर मार दी, जिससे चार डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में कांग्रेस के विधायक और चार बार लोकसभा सांसद रहे वेंकटेश नाईक समेत पांच लोगों की जान चली गई।

विचित्र है कि रेल फाटकों पर होने वाली दुर्घटनाओं का मुख्य कारण जहां किसी कर्मचारी की ड्यूटी में लापरवाही या वहां किसी कर्मचारी का तैनात न होना रहा है, वहीं रेलवे के मुताबिक ताजा हादसे की जगह पर ट्रेन को सुरक्षित गुजारने के लिए फाटक बंद था, खतरा प्रदर्शित करने वाली लालबत्ती जली हुई थी और सड़क का इस्तेमाल करने वालों को सतर्क करने के लिए सायरन-हूटर भी लगातार बज रहे थे। यही नहीं, फाटक के कुछ पहले ही एक गति-अवरोधक भी है, ताकि किसी वाहन के अनियंत्रित होने की गुंजाइश को न्यूनतम किया जा सके। लेकिन ट्रक चालक ने इन सारे अवरोधों को तोड़ते हुए ट्रेन में टक्कर मार दी। जाहिर है, इस घटना ने रेलवे के सामने एक नई चुनौती खड़ी की है कि ऐसे हादसों से बचाव के क्या इंतजाम किए जाएं!

सही है कि रेलवे फाटकों पर ज्यादातर हादसे आमतौर पर वाहन चालकों की लापरवाही और मनमाने ढंग से रेल पटरियों को पार करने के चलते होते हैं। लेकिन ऐसे हादसों के पीछे एक बड़ी वजह फाटकों पर किसी रेलवे कर्मचारी या चौकीदार का न होना भी है, जो ट्रेन आने के पहले सड़क यातायात को रोक सके। देश भर में हजारों फाटक ऐसे हैं, जहां कर्मचारी की तैनाती नहीं है। जबकि पटरी पार करते हुए सबसे ज्यादा हादसे मानवरहित फाटकों पर ही होते हैं। रेलवे में इन चौकीदारों के अलावा सवा लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, लेकिन उन्हें भरने की बात आते ही धन की कमी का रोना राया जाता है।

दूसरी ओर, दोमंजिली रेलगाड़ियों की शुरुआत और बुलेट ट्रेन जैसी बेहद खर्चीली योजनाओं की घोषणा या उन पर धन बहाने में रेल महकमे में कोई हिचक नहीं दिखाई देती। जब भारतीय रेल को विश्व मानकों के अनुरूप बनाने के उपाय जुटाने के दावे किए जाते हैं और इसके नाम पर भाड़े में बढ़ोतरी की जाती है तो उसमें हर तरह से सुरक्षित और आरामदेह सफर सुनिश्चित करना महकमे की जिम्मेदारी है। लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है। रेल सुरक्षा पर एक उच्चस्तरीय समीक्षा समिति की वे सिफारिशें लंबे समय से फाइलों में दबी पड़ी हैं जिनमें कहा गया है कि रेल फाटकों पर हादसों को रोकने के लिए तत्काल उपरिपुल और पार-पथ बनाए जाने चाहिए। रेल महकमा ऐसे सुझावों पर अमल क्यों टालता रहता है!

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