नीरव मोदी के महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में समुद्र किनारे बने बंगले को डायनामाइट से उड़ा दिया गया है। इस कार्रवाई से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि घोटालेबाज बख्शे नहीं जाएंगे। उनकी संपत्ति जब्त होगी, जब्त सामान और जायदाद बेच कर पैसे निकलवाए जाएंगे। सौ करोड़ रुपए का यह बंगला इसलिए गिराया गया है क्योंकि यह सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाया गया था। अभी तक यह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कब्जे में था। लेकिन यह मामला अवैध निर्माण का था, जिसमें नीरव मोदी तो दोषी है ही, उससे भी बड़ा गुनहगार वह सरकारी तंत्र है जिसने इस बंगले को बनने दिया। लेकिन तब नीरव मोदी घोटालेबाजों और भगोड़ों की श्रेणी में नहीं था, बल्कि एक ऐसा ताकतवर कारोबारी था जिसे भारत के बैंकिंग और सत्ता तंत्र से भरपूर मदद मिलती रही थी। वरना क्या महाराष्ट्र सरकार और रायगढ़ का स्थानीय प्रशासन इस बंगले को बनने से नहीं रुकवा सकता था?

लेकिन सवाल है इस कार्रवाई से नीरव मोदी पर फर्क क्या पड़ने वाला है? वह तो इन दिनों ठाठ से ब्रिटेन में कारोबार कर रहा है उसने वहां का सरकारी नेशनल इंश्योरेंस नंबर हासिल कर लिया है। भले सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय जैसी बड़ी जांच एजेंसियों ने उसके खिलाफ कमर कसी हुई है, बैंक खाते जब्त कर लिए हैं और संपत्तियां सील कर दी है, लेकिन हकीकत यह है कि वह लंदन में पूरी तरह सुरक्षित है और खुलेआम घूम रहा है और भारत सरकार और उसके नियम-कानूनों को खुली चुनौती दे रहा है। हाल में नीरव मोदी का जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें वह एक अखबार के पत्रकार के हर सवाल के बारे में मुस्कुराते हुए सिर्फ एक ही जवाब देता दिख रहा है- नो कमेंट। एकदम शांति मुद्रा में और निश्चिंत। जाहिर है, उसे अब कोई खौफ नहीं है भारत के किसी भी कानून का। उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस तक निकला हुआ है। इसलिए यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि आखिर वह इंटरपोल की पकड़ से बाहर कैसे है!

नीरव मोदी और उसका मामा मेहुल चौकसी पंजाब नेशनल बैंक के तेरह हजार करोड़ रुपए घोटाले के आरोपी हैं। मेहुल चौकसी ने तो एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है। उसके प्रत्यर्पण के लिए भले सरकार हाथ-पैर मार रही हो, लेकिन हालात कुछ ही और बयां कर रहे हैं। ब्रिटेन के गृह मंत्री ने इस दिशा में पहला कदम यह उठाया है कि उन्होंने के भारत इस अनुरोध को एक अदालत को भेज दिया है। अब ब्रिटेन में उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी। इसमें भी सब वैसा ही होगा जैसा विजय माल्या के मामले में हमने अब तक होते देखा है। दरअसल, ऐसे घोटालेबाज और भगोड़े कानूनी दांवपेचों, लंबी कानूनी प्रक्रियाओं और अपने रसूख का भरपूर फायदा उठाते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सबूत जुटाना और उन्हें साबित करना बहुत ही दुष्कर और जोखिमभरा काम होता है। इसमें कोई शक नहीं कि ऐसे लोग पनपते भी इसी सत्ता तंत्र की मेहरबानी से हैं। जब तक विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी को भारत लाया जाएगा, तब तक एक लंबा वक्त गुजर जाएगा और घोटालों का शोर भी वक्त के साथ धीमा पड़ता चला जाएगा।