जम्मू-कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री ने देश को जो भरोसा दिलाया है, वह राज्य में शांति, सद्भाव और विकास के संदर्भ में सरकार के संकल्प को व्यक्त करता है। केंद्र सरकार की प्राथमिकता किसी भी कीमत पर राज्य में अमन-चैन कायम करने की है, ताकि माहौल सामान्य हो सके। प्रधानमंत्री ने रविवार को ‘मन की बात’ में साफ कहा कि घाटी में बम और बंदूक को विकास से ही कम खत्म किया जा सकता है। विकास होगा तो लोगों का मन बदलेगा, नौजवानों को नई दिशा मिलेगी और आतंकियों के हौसले पस्त होंगे। राज्य में पिछले कुछ समय से चल रहे विशेष कार्यक्रम ‘बैक टु विलेज’ के नतीजों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि लोगों को अब विकास से जोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री की यह बात उम्मीद की नई किरण पैदा करती है। कश्मीर घाटी पिछले तीन दशकों से आतंकवाद की मार झेल रही है और इस दौरान यहां के लोगों ने जो उत्पीड़न और यातनाएं झेली हैं, उस बारे में सोच कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसे में अगर कश्मीर घाटी से आतंकवाद खत्म हो जाए तो सरकार के लिए इससे बड़ा हासिल कुछ नहीं होगा।

जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य बनाना और विकास संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता में शीर्ष पर है। प्रधानमंत्री समय-समय पर इस बात को कहते भी आए हैं। हालांकि कश्मीर में अमन-चैन की बहाली और विकास कार्यक्रमों को शुरू करना बड़ी चुनौती है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। आज कश्मीर जिस हालत में पहुंच चुका है, उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि घाटी के हर जिले, हर गांव तक में आतंकवादियों का नेटवर्क काम कर रहा है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में अब तक की सरकारों की नीतियां और प्रशासन की लापरवाही इसका बड़ा कारण रही। ऐसे में ग्रामीणों तक सरकार और प्रशासन की पहुंच बनना नितांत जरूरी है। ‘बैक टु विलेज’ कार्यक्रम में बड़े अधिकारी खुद गांवों का दौरा कर रहे हैं और लोगों की समस्याओं को सुन कर मौके पर ही उनका समाधान भी कर रहे हैं।

सरकार की इस पहल से लोगों में भरोसा पैदा होगा और संदेश जाएगा कि अब घाटी के लोगों की सुध ली जा रही है। सरकार की कोशिश है कि सबसे निचले स्तर पर प्रशासन की इकाई- ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाया जाए और गांव वालों को रोजगार मुहैया कराने के उपाय किए जाएं। अगर घाटी के नौजवानों को रोजगार मिलना शुरू हो गया तो अपने आप उनकी ऊर्जा सकारात्मक कामों में खर्च होगी। आतंकी संगठन लंबे समय से बेरोजगार युवकों को अपने संगठनों में भर्ती करते रहे हैं और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने, पथराव कराने जैसे कामों के लिए उनका इस्तेमाल करते रहे हैं। सरकार अगर नौजवानों को रोजगार मुहैया कराती है तो इससे उन्हें आतंकी बनने से रोका जा सकता है।

सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। विकास करने के साथ-साथ आतंकियों से भी निपटना है। हाल में कश्मीर में दस हजार और जवानों की तैनाती इस बात का संकेत है कि आतंकियों के खिलाफ बड़ा अभियान चल सकता है। कश्मीर में धारा 370 और 35 ए को लेकर पहले ही से माहौल गरमाया है और राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ी है। घाटी के हालात सामान्य बनाने के लिए सरकार जो भी कदम उठाए, पहली जरूरी बात यह है कि विकास संबंधी काम बंद नहीं होने चाहिए। घाटी को पटरी पर लाने के लिए नौजवानों को काम-धंधे से लगाना होगा। प्रधानमंत्री ने घाटी के माहौल को बदलने के लिए विकास का जो भरोसा दिया है, उम्मीद की जानी चाहिए वह हकीकत में दिखेगा भी।