मुंबई में हुए आतंकी हमलों को लेकर पाकिस्तान की नीयत पर से एक बार फिर परदा उठा है। अभी तक वह भारत की तरफ से पेश किए गए सबूतों को यह कह कर खारिज करता रहा है कि वे अप्रामाणिक हैं। पर अब चूंकि इस हमले के मुख्य जांचकर्ता तारिक खोसा ने तमाम सबूतों के आधार पर कहा है कि मुंबई पर हमले की साजिश पाकिस्तान की सरजमीं पर रची गई थी और उसमें लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था, तो पाकिस्तान को फिलहाल कोई खंडन नहीं सूझ रहा।

मुंबई हमले के बाद गठित संघीय जांच एजेंसी के प्रमुख के तौर पर खोसा ने इस घटना से जुड़े तमाम पहलुओं का अध्ययन किया था। उन्होंने खुलासा किया है कि इन बातों के पुख्ता सबूत हैं कि अजमल कसाब पाकिस्तानी था, उसे पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा ने प्रशिक्षित करके भेजा था और कराची के अभियान केंद्र से हमलावरों को निर्देश दिए जा रहे थे। जांच में इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए अभियान के कमांडर और हमलावरों के बीच हुई बातचीत में आवाजों की पहचान भी की जा चुकी है। उन विदेशी एजेंसियों का भी पता चल चुका है, जिन्होंने इस अभियान के लिए धन मुहैया कराया। खोसा ने पाकिस्तान के अखबार डॉन में इन बातों का खुलासा किया है। ये सारे सबूत बहुत पहले भारत ने पाकिस्तान को मुहैया करा दिए थे, मगर वहां की विशेष अदालत में उन्हें अपुष्ट कह कर खारिज कर दिया गया था।

तारिक खोसा ने मुंबई हमलों को लेकर पाकिस्तान की विशेष अदालत में चल रही सुनवाई पर भी तल्ख टिप्पणियां की हैं। जिस तरह उसके जजों को लगातार बदला गया, वकील की संदिग्ध स्थितियों में हत्या कर दी गई, गवाह अपने बयानों से मुकरते गए उससे मामले की हकीकत पर से परदा उठाना मुश्किल बना रहा। देखना है, पाकिस्तान खोसा के इस खुलासे पर क्या रुख अख्तियार करता है। रूस के उफा शहर में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवाज शरीफ से मुलाकात की तो उनके बीच इस बात पर रजामंदी बनी कि पाकिस्तान मुंबई हमले से जुड़े मामलों में सहयोग करेगा।

लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और मुंबई हमले के मुख्य आरोपी जकी उर रहमान लखवी की आवाज के नमूने भी देगा। पर नवाज शरीफ के वतन वापस लौटते ही उनके विदेश और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने लखवी की आवाज का नमूना देने से इनकार कर दिया। उलटा उन्होंने कहा कि भारत पहले कश्मीर समस्या को सुलझाए फिर आतंकवाद के मसले पर सहयोग की अपेक्षा करे। खोसा ने भारत के पक्ष को सही करार देते हुए पाकिस्तानी हुक्मरान को मशविरा भी दिया है कि मुंबई हमले को लेकर उन्हें सहयोग का रुख अख्तियार करना चाहिए। पाकिस्तान सच का सामना करे और अपनी गलतियां माने। मगर जाहिर है, यह मशविरा पाकिस्तान के गले नहीं उतरेगा। जिस तरह वह कट्टरपंथियों और दहशतगर्दों के दबाव में आतंकवाद को भारत के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करता रहा है, उसमें उससे ऐसी उदारता की उम्मीद करना बेमानी है।

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