महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लंबे समय से सवाल उठ रहे हैं। दामिनी कांड के बाद देश भर में हुए आंदोलन के बाद कड़े कानून भी बने। पर महिलाओं के साथ छेड़खानी, बदसलूकी, बलात्कार जैसी घटनाओं में कोई कमी नहीं आ पाई है। इसकी बड़ी वजह है लोगों की मानसिकता में बदलाव न होना। इसी का ताजा उदाहरण है सिने कलाकार जायरा वसीम के साथ दिल्ली से मुंबई जा रहे हवाई जहाज में हुई छेड़छाड़। जायरा ने आमिर खान की फिल्म दंगल में महिला पहलवान गीता फोगाट के बचपन की भूमिका निभाई थी। उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाल कर रोते हुए अपनी तकलीफ जाहिर की है कि जब वह दिल्ली से मुंबई के जहाज में यात्रा कर रही थी, तो उसकी पिछली सीट पर बैठा व्यक्ति अपने पैर से उसके शरीर को सहला रहा था। जायरा का यह भी कहना है कि जब उसने जहाज के कमर्चारियों से इस बात की शिकायत की, तब उनकी तरफ से कोई मदद नहीं मिली। हालांकि सोशल मीडिया पर जायरा का वीडियो जारी होने के बाद पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
महिला आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। उड्डयन मंत्री ने कहा है कि अगर मामला सही पाया गया तो संबंधित व्यक्ति को सदा के लिए हवाई यात्रा से प्रतिबंधित किया जा सकता है। हालांकि कुछ लोग पूछ रहे हैं कि जब जायरा के साथ यह वाकया हुआ तो उसने संबंधित व्यक्ति की तस्वीर उतारने, सोशल मीडिया पर आपबीती बयान करने के बजाय सीट क्यों नहीं बदल ली, उसने उस व्यक्ति को फटकार क्यों नहीं लगाई। हालांकि फिलहाल इन सवालों पर बहस का कोई अर्थ नहीं। यह छिपी बात नहीं है कि हमारे समाज में जिस तरह लड़कियों का पालन-पोषण होता और उन्हें अपने साथ होने वाली बदसलूकी के खिलाफ जुबान न खोलने की शिक्षा दी जाती है, उसमें बहुत सारी लड़कियां ऐसी घटनाओं पर प्राय: चुप्पी साधे रखती हैं। इसलिए जायरा ने खुल कर प्रतिरोध नहीं किया तो उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सवाल है कि हवाई जहाज के कर्मचारियों ने जायरा की शिकायत पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
वह व्यक्ति कौन था, जिसके भय और प्रभाव से जायरा की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। इस घटना ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि जब हवाई जहाजों में चलने वाली महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं तो बसों, रेलों आदि सार्वजनिक वाहनों में सफर करने वाली सामान्य महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कितना आश्वस्त हुआ जा सकता है। कड़े कानून के बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा, छेड़खानी, बलात्कार जैसी घटनाएं कम नहीं हो रहीं, तो इसके पीछे एक वजह यह भी है कि लोगों में कानून का भय समाप्त होता गया है। ऐसी घटनाओं में सजा की दर बहुत कम है। बहुत-सी लड़कियां बदनामी के डर से अपने साथ हुई ऐसी घटनाओं के खिलाफ शिकायत नहीं करतीं। इससे भी बहुत सारे लोग ऐसी हरकतों से बाज नहीं आते, बल्कि दूसरी लड़कियों के साथ ऐसा करने को प्रोत्साहित होते हैं। ऐसे में अपेक्षा की जाती है कि जो मामले प्रकाश में आएं, उनका त्वरित निपटारा हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले, जिससे ऐसी विकृत मानसिकता वाले लोगों को सबक मिल सके। फिर यह भी कि जो महिलाएं समाज की दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणादायी हैं, कम से कम उन्हें अपने साथ हुई ऐसी घटनाओं को चुपचाप सहन नहीं कर लेना चाहिए।