यह बात बहुत बार उठी है कि हमारी पुलिस की कार्यप्रणाली जनतांत्रिक तकाजों के अनुरूप नहीं है। लेकिन पुलिस सुधार के तमाम आग्रहों के बावजूद पुलिस को नागरिकों के प्रति पर्याप्त संवेदनशील नहीं बनाया जा सका है। कई बार लोगों के प्रति उसका व्यवहार बेहद हिंसक और क्रूर होता है।

दिल्ली में एक पुलिसकर्मी के महिला वाहन चालक से रिश्वत मांगने और फिर न देने पर उसकी बांह मरोड़ने, उसे पत्थर से मारने की घटना इसका ताजा उदाहरण है। उस महिला ने लाल बत्ती लांघ दी तो संबंधित पुलिसकर्मी ने उसे रोक कर चालान काटने की बात कही, फिर प्रस्ताव दिया कि वह दो सौ रुपए लेकर मामले को रफा-दफा कर देगा। इस पर तकरार बढ़ी और महिला बगैर पैसा दिए चलने लगी तो पुलिसकर्मी ने उसे पत्थर फेंक कर मारा।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने अपने मोबाइल से इस घटना की वीडियो रिकार्डिंग कर ली। इस तरह पूरा प्रकरण प्रकाश में आया, नहीं तो ऐसी घटनाएं आए दिन घटती रहती हैं, जिनके खिलाफ आम राहगीर कहीं गुहार नहीं लगा पाते। यातायात नियमों के उल्लंघन पर पुलिसकर्मियों का लोगों को परेशान करना और चालान काटने के बजाय रिश्वत लेकर छोड़ देना आम बात है। मगर पत्थर मारने की घटना से यही जाहिर हुआ है कि पुलिसकर्मियों में रिश्वत लेने की प्रवृत्ति इस कदर गहरे जड़ें जमा चुकी है कि इनकार करने पर वे सारी हदें पार कर जाते हैं। हालांकि ऐसी किसी घटना के चलते पूरे महकमे पर लांछन लगाना उचित नहीं, पर आखिर यह जिम्मेदारी पुलिस के आला अधिकारियों की है कि वे छोटे कर्मचारियों में ऐसी प्रवृत्ति को पनपने से रोकने के उपाय निकालें।

दिसंबर 2012 में चलती बस में हुए सामूहिक बलात्कार कांड ने पूरी दिल्ली को झकझोर कर रख दिया था। राजधानी के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी उस घटना के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए थे। इस जनाक्रोश ने दिल्ली में महिला-सुरक्षा को एक बड़ा मुद्दा बना दिया। मगर इसके बावजूद दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाओं में कमी नहीं आ पाई है। यहां तक कि पुलिस के व्यवहार में भी कोई सुधार नहीं दिखता। आरोपी पक्ष के दबाव में पीड़ित परिवार को परेशान करने, एफआइआर दर्ज न करने जैसी शिकायतें मिलती रही हैं।

इन सबके बीच अगर कोई पुलिसकर्मी सरेराह किसी महिला चालक के साथ बदसलूकी करता और उसे बर्बर तरीके से पीटता देखा जाए तो पुलिस महकमे पर अविश्वास बढ़ना स्वाभाविक है। आखिर पुलिसकर्मियों को ऐसा प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया जाता कि वे आम नागरिकों के साथ मानवीय तरीके से पेश आ सकें। क्या वजह है कि अधिकतर पुलिसकर्मी वर्दी का रौब-दाब दिखाने से बाज नहीं आते। संबंधित घटना में कुल मामला लाल बत्ती लांघने का था, जिस पर तय जुर्माना वसूला जाना चाहिए था।

अगर महिला ने मौके पर चालान भरने से इनकार किया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती थी। मगर पुलिसकर्मी ने जो किया वह स्तब्ध कर देने वाला है। दिल्ली पुलिस आयुक्त ने इस घटना पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और उन्होंने संबंधित पुलिसकर्मी को तत्काल निलंबित कर गिरफ्तार करा लिया। पर पुलिसकर्मियों में जड़ें जमा चुकी भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को दूर करने और उन्हें जवाबदेह बनाने के उपाय भी सोचने होंगे। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस सुधार की जरूरत रेखांकित की है।

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