आमतौर पर राज्यों के बजट को लेकर ज्यादा उत्सुकता नहीं होती। फिर भी दिल्ली सरकार के बजट ने लोगों का ध्यान खींचा है तो इसके कई कारण हैं। उपमुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया के पेश किए इस बजट में कुछ नवाचार दिखता है। कई जगह सभाएं कर आम लोगों से सुझाव मांगे गए थे कि वे कैसा बजट चाहते हैं। आम आदमी पार्टी के चुनाव में किए वादों के अलावा इन सुझावों का भी असर रहा होगा कि बजट में सबसे ज्यादा आबंटन शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक परिवहन के मदों में किए गए हैं। एक नया प्रयोग स्वराज निधि की व्यवस्था है। इसके लिए दो सौ तिरपन करोड़ आबंटित हुए हैं। इस राशि से वे काम किए जाएंगे जो मोहल्ला स्तर पर लोग सुझाएंगे। अलबत्ता, पहले साल यह प्रयोग केवल ग्यारह विधानसभा क्षेत्रों तक सीमित रहेगा।

दिल्ली के बजट में शिक्षा-आबंटन बढ़ कर दुगुने से भी कुछ अधिक हो गया है। ‘आप’ ने पांच साल में पांच सौ सरकारी स्कूल खोलने का वादा किया था। बजट के मुताबिक दो सौ छत्तीस स्कूल एक वर्ष के भीतर खोले जाएंगे। पचास स्कूलों को मॉडल स्कूलों के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके अलावा तीन नए आइटीआइ और पांच पॉलीटेकनीक कॉलेज खुलेंगे। शिक्षकों की कमी और इसके फलस्वरूप शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात का बिगड़ते जाना सरकारी स्कूलों की एक बड़ी समस्या रही है। केजरीवाल सरकार की एक अहम घोषणा यह है कि बीस हजार नए शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। साथ ही सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने, वहां दाखिले और फीस निर्धारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का भरोसा दिलाया है।

भारत की गिनती दुनिया के उन देशों में होती है जहां स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च बहुत कम होता है। इसके बरक्स केजरीवाल सरकार ने स्वास्थ्य पर खर्च पैंतालीस फीसद बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। ग्यारह अस्पतालों में कुल चार हजार नए बिस्तर जोड़ने और अठारह सौ बिस्तरों की क्षमता वाले तीन नए अस्पताल खोलने के अलावा सरकार ने पांच सौ मोहल्ला क्लीनिक खोलने की भी घोषणा की है।

बिजली और पानी में राहत को एक अहम चुनावी मुद्दा बना कर आई सरकार ने इस मद में सोलह सौ नब्बे करोड़ रुपए की सबसिडी की तजवीज की है। अनधिकृत और पुनर्वास कॉलोनियों में पानी की पाइपलाइन पहुंचाने का भरोसा दिलाया है और टैंकरों पर निगरानी रखने की बात कही है। पर इसके अलावा झुग्गियों और अनधिकृत कॉलोनियों के लिए कोई खास बात नहीं है। बसों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उनमें मार्शल की तैनाती होगी, टैक्सी-आॅटो में जीपीएस से निगरानी होगी। सरकारी स्कूलों, अस्पतालों और दिल्ली परिवहन निगम की बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।

किसी भी बजट का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष राजस्व का होता है। दिल्ली के बजट ने न तो वैट की दरों में कोई बढ़ोतरी की है न उसका दायरा बढ़ाया है। जो कर बढ़ाए हैं वे मनोरंजन, सैर-सपाटे और अन्य शौकिया खर्चों से संबंधित हैं। कर का यह ढांचा तो जनपक्षीय है, पर सवाल है कि क्या राजस्व में अठारह फीसद बढ़ोतरी का घोषित लक्ष्य हासिल हो पाएगा। इस बजट के बहाने अपनी सरकार का नजरिया रखते हुए हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि विकास सरकार नहीं करती, जनता करती है, सरकार का काम तो उसका माहौल बनाना और सहूलियतें मुहैया कराना है। बात सही है। पर जहां तक झुग्गियों और बिल्कुल बदहाल बस्तियों की बात है, दिल्ली सरकार को जरूर कुछ बड़ी पहल करनी चाहिए थी।

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