किसी रोग के इलाज या उससे बचाव के क्रम में अमूमन सभी चिकित्सा पद्धतियों में यह सलाह दी जाती है कि खानपान में क्या बदलाव किया जाना चाहिए या फिर क्या खाने-पीने से बचा जाना चाहिए। इसके अलावा, बाजार में मौजूद कई उत्पादों के विज्ञापनों में यह दावा किया जाता है कि उसके उपयोग से किसी खास रोग से बचाव संभव है।
सवाल है कि खाने-पीने को लेकर अनेक प्रकार के दावे करते हुए बाजार में उपलब्ध उत्पाद किसी बीमारी को दूर करने में क्या सचमुच सहायक साबित होते हैं? या फिर वे शरीर में एक नई जटिलता पैदा करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने मंगलवार को गैर-चीनी मिठास को लेकर जो नई चेतावनी जारी की है, वह वैसे लोगों के लिए सावधान हो जाने का वक्त है, जो ऐसी कृत्रिम मिठास का सेवन करते हुए यह मान कर चलते हैं कि उन्होंने शरीर में मीठे की जरूरत भी पूरी कर ली और वे चीनी से इस्तेमाल से भी बच गए।
पिछले कुछ दशकों के दौरान जीवनशैली से जुड़े सेहत के सवालों को लेकर अनेक प्रकार के अध्ययन होते रहे हैं। खासतौर पर मधुमेह और हृदय रोगों को लेकर विशेष चिंता जताई जाती रही है और सबसे ज्यादा जोर खानपान में परहेज और संतुलन पर दिया जाता रहा है। इसी क्रम में मधुमेह के जोखिम के बीच कृत्रिम मिठास का विकल्प लोकप्रिय हुआ था।
अब डब्लूएचओ ने शरीर के वजन को नियंत्रित करने या फिर गैर-संचारी बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए आम इस्तेमाल में आ चुके मिठास पैदा करने वाले पदार्थ या गैर-चीनी मिठास को लेकर आगाह किया है। डब्लूएचओ के मुताबिक गैर-चीनी मिठास के सेवन को लेकर नया सुझाव उपलब्ध सबूतों की समीक्षा के नतीजों पर आधारित है।
जिससे पता चलता है कि इसके इस्तेमाल से वयस्कों या बच्चों के शरीर का वजन कम करने में लंबे समय के दौरान कोई फायदा नहीं मिलता। बल्कि अध्ययन के नतीजों से ये तथ्य भी उजागर हुए है कि ज्यादा वक्त तक इसके इस्तेमाल से घातक असर हो सकते हैं। मसलन, टाइप-2 मधुमेह, दिल की बीमारियों का खतरा हो सकता है और इसकी वजह से वयस्कों के बीच मृत्यु-दर भी बढ़ सकती है।
जाहिर है, जिस चीज का इस्तेमाल करके लोग खुद को सुरक्षित महसूस करते रहे हैं, वही उनकी सेहत को नई जटिलता में डाल सकती है। विडंबना यह है कि एक समय किसी खास वस्तु को जहां सेहत के लिए या किसी रोग से बचाव के मकसद से उपयोगी बताया जाता है, उसी को कभी जोखिम से भरा हुआ बता दिया जाता है।
ऐसे में एक आम इंसान के सामने स्वाभाविक ही दुविधा खड़ी हो जाती है, जो अपनी किसी बीमारी की हालत में चिकित्सकों या चिकित्सा संबंधी सलाहों पर निर्भर रहता है। निश्चित रूप से अगर कोई प्रशिक्षित चिकित्सक सभी प्रकार की जांच करके किसी चीज के सेवन या उससे बचने की सलाह देता है तो इसका कोई आधार होता है।
लेकिन अगर लोकप्रिय प्रचार के दबाव में खानपान में कोई ऐसी चीज शामिल की जाती है, जिसका कोई लाभ नहीं हो, तो संभव है कि उसके दुष्परिणाम से कोई नई बीमारी जकड़ ले। ऐसे में लोगों को फल या अन्य प्राकृतिक रूप से मिठास वाले पदार्थों का विकल्प चुनना चाहिए, जो वास्तव में लाभ पहुंचा सकते हैं। डब्लूएचओ की ओर से गैर-चीनी मिठास के बारे में जारी चेतावनी इस बात की ताकीद है कि लोग लोकप्रिय प्रचारों के प्रभाव में आए बिना अपनी सेहत को लेकर वास्तविक जरूरतों का ही ध्यान रखें।