लंबे समय से शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी जरूरी सुविधाओं से वंचित लोगों के लिए अभी तक यह किसी सपने से कम नहीं था। ‘सेहत’ प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का विस्तार है।
प्रदेश के लोगों के लिए ‘सेहत’ योजना की ज्यादा अहमियत इस मायने में है कि इसमें अब वे लोग भी शामिल हो सकेंगे जो आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के दायरे में नहीं थे। ऐसे लोगों की तादाद करीब एक करोड़ है।
पिछले कुछ दशकों में घाटी के लोगों के लिए इतनी बड़ी योजना पहले कभी शुरू नहीं हुई। कश्मीर घाटी का बहुत बड़ा इलाका विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला है और ज्यादातर आबादी गांवों में बसती है। ऐसे में यहां के लोगों के लिए चिकित्सा सुविधा पहली बड़ी जरूरत बनी हुई थी।
हालांकि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा खड़ा करने के लिए कवायद पहले ही शुरू हो चुकी है। जम्मू और श्रीनगर में दो कैंसर संस्थान और दो एम्स बनाने का काम जोरों पर है। इसके अलावा चिकित्सा और नर्सिंग शिक्षा के लिए नए कालेजों की स्थापना को हरी झंडी दी जा चुकी है।
जम्मू-कश्मीर में हाल में हुए जिला विकास परिषद के नतीजों से साफ हो गया है कि यह प्रदेश अब हर तरह से शांति और विकास के रास्ते पर बढ़ चला है। घाटी के लोगों ने पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा समय से हिंसा की मार झेली है। इसलिए अब लोग किसी भी कीमत पर शांति चाहते हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि जब घाटी में शांति स्थापित होगी और विकास संबंधी काम जोर पकड़ने लगेंगे तो दिन अपने आप फिरने लगेंगे। पिछले साल अगस्त में जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर संपूर्ण प्रदेश को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया था, तब तरह-तरह की आशंकाएं व्यक्त की गई थीं।
लेकिन प्रदेश में जिस तरह चरणबद्ध तरीके से राजनीतिक प्रक्रिया शुरू की गई और पहली बार जिला विकास परिषद के चुनावों में लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और पूरी चुनाव प्रक्रिया बिना किसी हिंसा के पूरी हुई, वह इस बात का प्रमाण है कि लोगों ने अब शांति और विकास के विकल्प को चुना है। आज जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से माहौल बदला है, उसमें सरकार के प्रयासों से भी ज्यादा लोगों का सहयोग है, जिसके बिना कश्मीर में नई सुबह देखने को नहीं मिल पाती।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले अभी भी सुरक्षाबलों के बड़ी चुनौती बने हुए हैं। राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े लोगों को निशाना बनाने से आतंकी संगठन बाज नहीं आ रहे। वे नहीं चाहते कि घाटी में किसी भी रूप में राजनीतिक गतिविधियां जोर पकड़ें।
ऐसे में इसका सबसे बड़ा तोड़ घाटी को लोगों तक विकास संबंधी योजनाओं के लाभ पहुंचाना है। जब लोगों को यह भरोसा होने लगेगा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए सरकार हर स्तर पर गंभीरता से जुटी है।
उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में शामिल किया जा रहा है, नौजवानों को रोजगार मुहैया कराने के लिए घाटी में उद्योग-धंधे लगाए जा रहे हैं, पारंपरिक व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो कोई संदेह नहीं कि लोग इनका लाभ न उठाएं। अगर प्रदेश में प्रशासन अपने कामों से लोगों का दिल जीत लेता है तो निश्चित ही लोग भी साथ आएंगे और कश्मीर में जल्द ही आतंकवाद खत्म होगा।