कर्नाटक सरकार के एक मंत्री ने अपने अंतरंग संबंधों का वीडियो सार्वजनिक होने से उठे विवाद के तूल पकड़ने के बाद इस्तीफा दे दिया, लेकिन इस मसले पर जिस तरह का घमासान मचा है, उससे साफ है कि अब शायद इसे एक राजनीतिक मुद्दे के तौर पर भुनाया जाएगा। दरअसल, इस घटनाक्रम में मामला केवल एक अवांछित यौन संबंध तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे लेकर जो आरोप सामने आए हैं, वे गंभीर हैं। खबरों के मुताबिक मंत्री पर नौकरी दिलाने का लालच देकर महिला का यौन शोषण करने का आरोप है।
गौरतलब है कि वहां के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इस मामले की शिकायत थाने में भी दर्ज कराई। इस पर राज्य के राजनीतिक गलियारे में उठी हलचल के बाद मंत्री ने इस्तीफा दिया, लेकिन इस मामले की जांच की मांग की। निश्चित रूप से यह जांच का विषय है कि अगर कोई मंत्री महज नौकरी दिलाने का आश्वासन देकर किसी महिला के साथ ऐसी हरकत करता है तो राजनीति और समाज के व्यापक संदर्भों में उसे कैसे देखा जाएगा। फिर कानूनी कसौटी पर पद और प्रभाव का इस्तेमाल करके किसी का शोषण करने का मामला किस निष्कर्ष पर पहुंचेगा!
यों, भारतीय राजनीति में इस तरह के वीडियो सार्वजनिक होना और उस पर विवाद अब कोई हैरान करने वाली बात नहीं रह गई है। लेकिन आमतौर पर ऐसे मामले कुछ दिनों तक चर्चा का विषय बनते हैं और फिर समय के साथ शांत भी पड़ जाते हैं। यह कभी पता नहीं चल पाता कि ऐसे वीडियो सार्वजनिक करने के लिए कौन जिम्मेदार है।
कर्नाटक में ही बाकायदा विधानसभा में कुछ विधायकों के अश्लील वीडियो देखने का मामला एक समय सुर्खियों में रहा था। सवाल है कि क्या कभी इसके व्यापक राजनीतिक और सामाजिक असर के बारे में विचार किया जाता है और क्या ऐसे मामलों को लेकर किसी ठोस नियमन पर बात होती है? इसमें दो राय नहीं कि किसी से संबंध बनाना एक निजी मामला हो सकता है, लेकिन अगर उसमें अन्य का हित या अधिकार का प्रश्न जुड़ा हुआ हो, शोषण और धोखा देने जैसी बातें सामने आ रही हों तो निश्चित रूप से यह एक बहस का सवाल बन जाता है कि आखिर ऐसे संबंधों की सीमा क्या होगी!
कर्नाटक के ताजा मामले में दो पक्ष जुड़े हुए हैं। पहला, जनता के प्रति जवाबदेह सरकार में एक जिम्मेदार पद पर होने के बावजूद मंत्री ने इस बात का खयाल रखना जरूरी नहीं समझा कि ऐसी हरकत से न केवल उनकी निजी जिंदगी, बल्कि राजनीतिक परिदृश्य में कैसे हालात पैदा होंगे। दूसरे, अगर नौकरी का लालच देकर यौन संबंध बनाने का आरोप सही है तो इसे बेहद गंभीर माना जाना चाहिए।
सही है कि मंत्री ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया। मगर सवाल है कि क्या इस तरह के मामले महज इस्तीफे से हल मान लिए जा सकते हैं! राजनीति की दुनिया में जो भी व्यक्ति जनता का नेतृत्व या नुमाइंदगी करने का दावा करता है, उसका निजी चरित्र लोगों के लिए प्रेरणा का काम करता है।
मगर जब ऐसे नेता ही अवांछित हरकतों में लिप्त पाए जाने लगें तो आम लोग उसे कैसे देखेंगे? एक ओर हमारे नेता अपने भाषणों में आम लोगों को नैतिकता, ईमानदारी और मेहनत का पाठ पढ़ाते हैं, दूसरी ओर खुद अपने स्तर पर वे ऐसे पाठों का खयाल रखना जरूरी नहीं समझते। बहरहाल, निजी स्तर पर की गई कोई अवांछित हरकत सार्वजनिक होने पर इस्तीफा देना नैतिकता के लिहाज से अपेक्षित है, लेकिन अब ऐसी ठोस पहलकदमी की जरूरत है जो भविष्य में सभी क्षेत्रों में जिम्मेदार और निर्णायक पदों पर बैठे लोगों के लिए सबक के तौर पर काम करे।