गुजरात विश्वविद्यालय के परिसर में नमाज पढ़ने को मुद्दा बना कर कुछ विदेशी छात्रों पर जिस तरह हमला किया गया, वह हर लिहाज से अनुचित है। इससे देश की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। राहत की बात यह है कि इस मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया और आरोपियों के खिलाफ सख्ती बरती है। मगर यह चिंता की बात है कि पढ़ाई-लिखाई के परिसरों में एक तरह की अराजकता पसर रही है और वह सभी के लिए बेहद नुकसानदेह है।

विश्वविद्यालय परिसर में नमाज पढ़ रहे विदेशी छात्रों पर कर दिया हमला

गौरतलब है कि शनिवार को विश्वविद्यालय परिसर में कुछ विदेशी छात्र नमाज पढ़ रहे थे कि वहां अचानक बीस-पच्चीस लोगों का समूह पहुंच गया और विवाद के बाद उन पर हमला कर दिया। इसमें कुछ छात्र घायल हो गए। हैरानी है कि ऐसी संवेदनशील परिस्थितियों में हंगामा करने वालों को रोकने और जरूरी कानूनी कार्रवाई को लेकर पुलिस अक्सर लापरवाही बरतती है। हालांकि अब इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पुलिस सख्त दिख रही है।

उपद्रवी ततत्वों की हरकतों से अतिथि देवो भव के नारे को चोट लगती है

ऐसे मामलों में अराजक तत्त्वों के खिलाफ सख्ती इसलिए भी जरूरी है कि ऐसे लोग इस बात की भी फिक्र नहीं करते कि उनकी हरकतों से दुनिया में भारत को लेकर कैसा संदेश जाएगा। एक ओर हमारे देश में ‘अतिथि देवो भव’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का नारा दिया जाता है, दूसरी ओर उपद्रवी तत्त्वों की बेलगाम हरकतों से ऐसे प्रयासों को गंभीर चोट पहुंचती है।

यह ध्यान रखने की जरूरत है कि दुनिया के बहुत सारे देशों से अलग-अलग धर्मों में विश्वास रखने वाले विद्यार्थी भारत के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई करने आते हैं तो इसकी वजह भारत में पढ़ाई-लिखाई के बेहतर माहौल के साथ-साथ सौहार्द और सहिष्णुता की संस्कृति की मजबूत बुनियाद रही है।

मगर संकीर्ण मानसिकता की वजह से अगर किसी अन्य धर्म के छात्रों पर हमले किए जाते हैं, उन्हें बाधित किया जाता है तो यह न सिर्फ कानून व्यवस्था का मसला है, बल्कि ऐसी घटनाओं से देश के बारे में गलत संदेश जाएगा। इसलिए उम्मीद है कि इस मामले में पुलिस ने जैसी सख्ती दिखाई है, उसे अंजाम तक पहुंचाया जाएगा, ताकि देश के बारे में नकारात्मक धारणा को बल न मिले।