अंतरिक्ष में उपग्रहों के प्रक्षेपण के क्षेत्र में कामयाबी के सफर में नया अध्याय जोड़ते हुए भारत ने एक बार फिर यह साबित किया कि इस मोर्चे पर वह दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले बेहतर क्षमता हासिल करने जा रहा है। रविवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने बाहुबली कहे जाने वाले अपने सबसे भारी एलवीएम-3 राकेट के जरिए ब्रिटेन स्थित वनवेब समूह कंपनी के छत्तीस उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।

इस तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष में किए जाने वाले प्रयोगों में भारत ने अपनी उपलब्धि की एक और कड़ी जोड़ दी। गौरतलब है कि चेन्नई से करीब एक सौ पैंतीस किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में प्रक्षेपण केंद्र के दूसरे नंबर लांच पैड से एलवीएम-3 ने निर्धारित समय पर उड़ान भरी और तय समय में उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर दिया।

छत्तीस उपग्रहों का कुल वजन लगभग पांच हजार आठ सौ पांच किलोग्राम था। वनवेब कंपनी के लिए ही पहले छत्तीस उपग्रह भी पिछले साल अक्तूबर में प्रक्षेपित किए गए थे। कहा जा सकता है कि अंतरिक्ष में नए प्रयोगों के मामले में भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास जगह बना रहा है।

ताजा कामयाबी की अहमियत इस रूप में है कि वनवेब समूह कंपनी और इसरो की वाणिज्यिक कक्षा में बहत्तर उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए एक करार हुआ है, जिसके तहत यह दूसरा प्रक्षेपण था। पहले प्रक्षेपण में भी छत्तीस उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया था। इसरो और वनवेब के बीच तालमेल का अपना महत्त्व है।

वनवेब अंतरिक्ष से संचालित एक वैश्विक संचार नेटवर्क है, जो सरकारों और औद्योगिक इकाइयों को संपर्क की सुविधा मुहैया कराता है। अब तक इसरो के भारी उपग्रह वाहन ने उम्मीद के मुताबिक बेहतर क्षमता के साथ प्रदर्शन किया है और अंतरिक्ष यान को निर्धारित कक्षा में स्थापित किया है। एलवीएम-3 दरअसल इसरो के राकेट वाहक वाहन जीएसएलवीएमके-तीन का नया नाम है, जो कक्षा में सबसे भारी उपग्रहों को स्थापित करने की क्षमता रखता है।

अब तक आमतौर पर इसका प्रदर्शन निर्धारित कसौटियों पर अपेक्षा के अनुकूल ही रहा है। यही वजह है कि वनवेब या वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष में प्रयोग करने के मामले अन्य देशों और संबंधित कंपनियों की नजर इसरो की इस वाणिज्यिक कक्षा पर है।

इन कामयाब प्रक्षेपणों के महत्त्व को इस रूप में समझा जा सकता है कि वक्त के साथ जैसे-जैसे सरकार और प्रशासन के कामकाज में विस्तार आ रहा है, दूरदराज के इलाकों में पहुंच आसान हो रही है, विकास और उपलब्धियों का लाभ साधारण लोगों तक पहुंचाने की कोशिशें हो रही हैं, उसके आधार-तत्त्व के रूप में समूचे तंत्र की प्रक्रिया में डिजिटल स्वरूप की भूमिका बढ़ रही है।

वनवेब कंपनी के प्रक्षेपणों के जरिए भारत के न केवल उपक्रमों, बल्कि कस्बों, गांवों, नगर निगमों और स्कूल समेत उन क्षेत्रों में भी सुरक्षित संपर्क की सुविधा मुहैया कराई जा सकेगी, जहां फिलहाल पहुंच बनाना मुश्किल है। यों पिछले लंबे समय से अंतरिक्ष में अपने बूते अपनी पैठ बनाने में कई स्तरों पर बेहतरीन प्रयोगों और उसमें कामयाबी के जरिए भारत ने दुनिया के सामने खुद को एक मजबूत केंद्र के रूप में साबित किया है।

खासतौर पर विज्ञान के क्षेत्र में लगातार उच्च स्तर के काम के जरिए वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण के बाजार में भारत ने विश्व के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर और सुरक्षित विकल्प दिया है। अब एलवीएम-3 की ताजा कामयाब उड़ान से हासिल उपलब्धि के साथ अंतरिक्षीय प्रयोगों के मामले में एक बार फिर दुनिया की नजर में भारत की अहमियत स्थापित हुई है।