पिछले कुछ समय से विमानों में यात्रियों के दुर्व्यवहार की बढ़ती घटनाएं निश्चित रूप से चिंता का कारण हैं। इसके मद्देनजर यात्रा के दौरान लोगों के मर्यादित व्यवहार के लिए नियम-कायदों की अहमियत समझी जा सकती है। हालांकि विमान सेवाओं के प्रबंधन में भी कई स्तरों पर सुधार की जरूरत महसूस की जा रही है। किसी भी विमान में उड़ान के पहले या उसके दौरान किसी यात्री के उग्र हो उठने को उचित नहीं ठहराया जा सकता, इसके लिए नियमों के मुताबिक कार्रवाई भी होती है, लेकिन अगर इसकी जड़ में कोई ऐसी परिस्थितिगत या फिर प्रबंधन से जुड़ी समस्या है, तो उस पर गौर करना सेवाओं में बेहतरी के लिहाज से जरूरी हो सकता है।
दिल्ली-गोवा उड़ान में देरी पर यात्री का आक्रोश
दिल्ली हवाई अड्डे पर गोवा जाने वाले एक विमान की उड़ान में करीब तेरह घंटे की देरी होने की वजह से एक यात्री ने आक्रोश में आकर चालक दल के एक सदस्य से मारपीट कर दी। किसी भी हालत में यात्री का ऐसा व्यवहार स्वीकार्य नहीं हो सकता, लेकिन सवाल है कि क्या परिस्थिति को देखते हुए ऐसे उपाय किए जा सकते हैं, जिससे ऐसे हालात ही पैदा न हों!
मामूली लापरवाही से भी हो सकता है बड़ा खतरा
पिछले कुछ दिनों से कड़ाके की ठंड और घने कोहरे की वजह से सड़क, रेल और हवाई मार्गों पर यात्रा में देरी एक सामान्य स्थिति हो चुकी है। विमानों की सुरक्षित उड़ान बहुत कुछ मौसम की स्थिति पर निर्भर होती है और इस मामले में मामूली लापरवाही भी बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। उड़ान से जुड़े संचालकों से लेकर चालक दल के सभी सदस्यों के ऊपर विमान को सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचाने का दायित्व होता है। ऐसी स्थिति में उनके साथ अगर असहज करने वाली स्थितियां उत्पन्न होती हैं, तो इसका असर उनके काम पर पड़ने की आशंका होती है।
दूसरे, मौसम में गड़बड़ी आदि अप्रत्याशित कारणों से किसी जोखिम के बीच विमान संचालन के समय में फेरबदल का फैसला वक्त की जरूरत होती है, ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसलिए विमान में सफर कर रहे लोगों को संयम और धीरज से काम लेना चाहिए। इस लिहाज से विमान में पायलट से मारपीट करने वाले यात्री के व्यवहार के लिए कानून के मुताबिक उस पर कार्रवाई स्वाभाविक है। मगर उड़ान में ज्यादा देरी की स्थिति में प्रबंधन के स्तर पर क्या कुछ ऐसा किया जा सकता था कि यात्रियों के भीतर अपनी सुरक्षित यात्रा को लेकर सब्र कायम रहे?
खबरों के मुताबिक, आरोपी यात्री को यह कहते सुना गया कि वह विमान में लंबे समय से बैठा है और उड़ान फिलहाल मुमकिन नहीं है तो उसे जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। विमान की संवेदनशील बनावट और उड़ान के जोखिम के मद्देनजर यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से इस तरह की इजाजत देना शायद मुश्किल हो, लेकिन आज इतना तकनीकी विकास हो चुका है कि मौसम की स्थिति के बारे में कई घंटे या एक-दो दिन पहले भी अनुमान लगाए जा सकते हैं। अगर अनुमान सही हों तो यात्रियों को मौसम खराब होने और उड़ान में देरी के बारे में सूचना देने के विकल्प पर गौर किया जा सकता है, ताकि लोग उसी मुताबिक अपनी यात्रा पर निकलें।
विमान यात्रा के दौरान अभद्रता करने पर कानूनी कार्रवाई लोगों के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है। मगर प्रबंधन के स्तर पर ऐसे उपायों पर गौर किया जा सकता है कि उड़ान में ज्यादा देरी की स्थिति में यात्रियों को पहले ही सूचित करने का व्यावहारिक तंत्र विकसित हो।