सूडान में जारी गृह युद्ध के बीच हालात जिस कदर बिगड़ते जा रहे हैं, उसमें उसके तुरंत खत्म होने के आसार फिलहाल नहीं नजर आ रहे। इसलिए स्वाभाविक ही सबकी चिंता यह है कि वहां की सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच भीषण संघर्ष की चपेट में आम नागरिक न आएं और दूसरे देशों के नागरिक जिस भी रूप में रह रहे हैं, उन्हें वहां से सुरक्षित निकाला जाए।

यों इस टकराव के हिंसक होने के साथ ही भारत ने सावधानी के तौर पर कई दिन पहले से ही अपने नागरिकों के बचाव और उन्हें वहां से सुरक्षित वापस लाने के लिए जरूरी पहल कर दी थी। मगर अब ‘आपरेशन कावेरी’ के तहत अपने जहाज और विमानों के जरिए वहां फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने का अभियान शुरू कर दिया गया है।

केंद्र सरकार ने तीन हजार से ज्यादा भारतीयों को सूडान से सुरक्षित निकालने के लिए आकस्मिक योजनाओं की तैयारी के निर्देश दिए हैं। इस बात की जरूरत तुरंत इसलिए भी थी कि सूडान में फिलहाल दोनों पक्षों के बीच टकराव जो शक्ल लेता जा रहा है, उसमें हालात के और बिगड़ने की ही आशंका जताई जा रही है।

गौरतलब है कि सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच सत्ता पर कब्जे के लिए चल रहे संघर्ष में अभी तक चार सौ से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर आ चुकी है और लगभग चार हजार लोग घायल हुए हैं। त्रासदी यह है कि इस हिंसा की सबसे बड़ी कीमत बच्चे और महिलाएं चुका रही हैं, जिनकी जिंदगी एक तरह से दांव पर है।

खुद वहां की सरकार का कहना है कि कई जगहों पर स्वास्थ्य सुविधाओं ने काम करना बंद कर दिया है और बाकी के बंद होने का खतरा है। जाहिर है, अव्वल तो सीधे संघर्ष में जान गंवाने वाले आम लोगों के अलावा अगर कोई घायल हो गया तो उसके सामने भी खुद को जिंदा बचा पाने की चुनौती खड़ी हो गई है।

जबकि चारों ओर बंदूकों और बमों के सीधे हमले के बीच मारे जाने या घायल होने वालों से इतर इस त्रासदी के सदमे और अन्य शारीरिक प्रभावों की जद में आए लोगों के इलाज की सख्त जरूरत है। अगर यह लड़ाई लंबी खिंची तो ज्यादा चिंता इस बात की जताई जा रही है कि आम लोगों के पास भोजन और पानी का संकट खड़ा हो जाएगा और सीधे युद्ध के अलावा अन्य प्रभावों की वजह से भी बड़ी तादाद में लोगों की जान जा सकती है।

ऐसे में भारत से वहां अलग-अलग वजहों से गए लोगों की स्थिति क्या हो सकती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि इसके अलावा भी कच्चे तेल का आपूर्ति करने और इस तरह ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में सूडान से भारत के आर्थिक हित जुड़े हुए हैं, लेकिन भारत के लिए प्राथमिक चुनौती अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकालना है।

दूसरे कई देशों के अलग-अलग हित भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं और लोग जोखिम में हैं। सवाल है कि एक देश में जारी गृह युद्ध के बीच आम और निर्दोष लोगों की बड़ी तादाद जिंदगी बचाने के जद्दोजहद से गुजर रही है तो ऐसे में वैश्विक समुदाय की क्या जिम्मेदारी बनती है! निश्चित रूप से सूडान से बाहर के सभी देशों का यह प्राथमिक कर्तव्य है कि वे अपने नागरिकों को सुरक्षित वहां से निकालें। लेकिन शायद जरूरत इस बात की भी है कि संयुक्त राष्ट्र से लेकर अन्य ताकतवर देश तेल, सोना या यूरेनियम की वजह से वहां की सत्ता पर कब्जे के लिए जो गृह युद्ध चल रहा है, उस पर तत्काल विराम लगाने और किसी समझौते या हल तक पहुंचने का रास्ता तैयार करें।