महेश परिमल
अगर मिल भी जाए, तो उसे हम अनायास सफलता कहेंगे, क्योंकि इस सफलता में हमारा परिश्रम कम दिखाई देगा। बिना असफल हुए हम सफलता का सही स्वाद नहीं चख पाएंगे। सारे सफल लोगों को असफलता का पड़ाव मिला ही है, जहां वे ठहरकर अपनी नाकामी के बारे में सोचते हैं। असफल लोगों का सामना जब भी सफलता से होगा, तो उसे सहजता से स्वीकार करेंगे। उसका सम्मान करेंगे। उसका हृदय से आभार मानेंगे।
असफलताओं को जीवन की पूंजी मान लिया जाए, तो बेहतर होगा। कई लोग असफलताओं में सफलता की खोज करते हैं। दूसरी ओर कई ऐसे भी लोग होते हैं, जो सफलताओं में भी अपनी कमी की तलाश करते हैं। ऐसे ही लोगों को सफलता ताकतवर बनाती है। असफल व्यक्ति के जीवन में सफल होने के शत प्रतिशत अवसर होते हैं, जब तक वह प्रयत्नशील बना रहे।
असफल होकर हाथ खड़े कर देने का अर्थ है, युद्ध से पहले ही हार स्वीकार कर लेना। सम्माननीय किसी की सफलता नहीं, बल्कि उसका संघर्ष और प्रयत्न होता है। सफल लोग कुछ नया नहीं करते, बल्कि प्रयत्नशील लोग जरूर एक न एक दिन कुछ नया करने की क्षमता रखते हैं। असफलता जब भी आएगी, अपने महत्त्वपूर्ण अनुभव जरूर देकर जाएगी। आत्मबल सदैव बने रहना चाहिए। हिम्मत कभी कमजोर नहीं पड़नी चाहिए। कभी-कभी गुच्छे की आखिरी चाबी ताले को खोल देती है। सफलता हमेशा रूठी नहीं रह सकती। उसे एक दिन हमारी प्रतिभा को पहचानना ही होगा।
निरंतरता पर एक छोटा-सा उदाहरण है। एक स्टेडियम में लोग कुछ प्रतिभागियों की शक्ति का प्रदर्शन देख रहे थे। ऐसे में एक पतला-दुबला व्यक्ति अपने बछड़े को लेकर सभी के बीच पहुंचा। वहां घोषणा की गई कि इस व्यक्ति के सीने पर बछड़ा अपने चारों पैर रख देगा और व्यक्ति को कुछ नहीं होगा। लोगों ने कहा कि यह असंभव है। आखिर में प्रदर्शन का समय हुआ। लोग भौंचक होकर उस पतले-दुबले व्यक्ति के क्रिया-कलाप देखते रहे।
किस तरह से उसने बछड़े को सहलाया, उससे प्यार किया। लोगों की सांसें थम गई, जब वह जमीन पर लेट गया। भारी बछड़ा धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा। पहले उसने एक पैर व्यक्ति के सीने पर रखा, फिर दूसरा, फिर तीसरा और आखिर में चौथा पैर। वह व्यक्ति अपनी सांसें रोक हुए था, पूरे बछड़े का भार उसके सीने पर था। लोग अवाक् होकर यह सब देख रहे थे। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच लोग खड़े होकर उस व्यक्ति का अभिवादन कर रहे थे।
आखिर यह कैसे हुआ, लोगों के लिए यह एक बड़ा सवाल था। दरअसल, उस व्यक्ति को बछड़े से खूब प्यार था। अक्सर वह उसके साथ खेलता था। खेल-खेल में बछड़ा उसके सीने पर खड़ा हो जाता था। इस प्रक्रिया में बछड़े को भी सुरक्षित खड़ा होे का अभ्यास हो गया, ताकि उसके मालिक को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। इस खेल में दोनों को मजा आता था। धीरे-धीरे यह उनका रोज का खेल हो गया। इधर व्यक्ति की सहनशक्ति भी बढ़ने लगी।
इस काम में निरंतरता नहीं होती, तो वह कदापि सफल नहीं हो पाता। यही है निरंतरता। पशु-पक्षियों के साथ इस तरह के कई प्रयोग इंसानों ने किए हैं, जिससे पशु या पक्षी भी अपने व्यवहार में परिपक्वता का प्रदर्शन करते हैं। सर्कस में खतरनाक पशुओं की कलाकारी को हममें से बहुतों ने देखा होगा। आवश्यकता है उसे बारीकी से जानने और गहराई से समझने की।
एक बार तो कोई भी सफल हो सकता है। लोग होते भी हैं। पर सही निरंतरता से प्राप्त होती है। सफलता के लिए उसके प्रति जुनून चाहिए। उसे संभालना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जितना उसे पाना। कई लोग सफलता को पचा नहीं पाते, इसलिए कई गलतियां कर जाते हैं, जो बाद में उनके लिए विफलता के द्वार खोल देती है। सफल होने के लिए हमें उन महत्त्वपूर्ण सीढ़ियों का स्मरण रखना होगा, जिनकी सहायता से हम सफल हो पाए हैं।
अपने संघर्ष के दिनों में जिसने भी हमें थोड़ी-सी भी सहायता की हो, उसे कभी नहीं भूलना चाहिए। वह सहायता भले ही आर्थिक न हो, पर संघर्ष के उन दिनों में अगर उसने आपसे सहज होकर बातचीत ही की हो, वह भी मायने रखता है।
संघर्ष करना मानव का धर्म है। विमान के लिए सबसे सुरक्षित स्थान हवाई अड्डे का हेंगर है, पर वह स्थान उसकी मंजिल नहीं। उसकी सही पहचान हवा में उड़ते रहने में ही है। जितना अधिक विमान हवा में रहेगा, उतनी ही उसकी पहचान कायम होगी। सही योद्धा की पहचान उसके द्वारा लड़ी गई लड़ाइयां हैं। संघर्षों के बाद सफलता का स्वाद ही अलग होता है। इसलिए सफलता अवश्य प्राप्त करना चाहिए, पर संघर्षों के रास्ते से गुजरकर प्राप्त किया जाए, तो वह स्थायी होगी।