आज बात दुनिया के सबसे घातक स्नाइपर में से एक चार्ल्स चक मवेनी की जिसने काबिलियत के दम में खुद को यह खिताब दिया था। अमेरिका में पैदा हुए चार्ल्स चक के पिता सैनिक थे और वह अपने बेटे को भी सेना में भर्ती करना चाहते थे। ऐसे में वह चार्ल्स चक को बचपन से ही प्रशिक्षण देना शुरू कर चुके थे। साल 1967 आते-आते स्कूलिंग खत्म हुई तो चार्ल्स ने मरीन ट्रेनिंग की ओर रुख किया।
चार्ल्स को मरीन ट्रेनिंग के दौरान ही तय कर लिया कि वह स्नाइपर बनेंगे। चार्ल्स ने कुछ ही दिनों में ट्रेनिंग पूरी की और वियतनाम युद्ध में भेज दिए गए। उनका कमांड मरीन-1 था और बतौर राइफल मैन सेना से जुड़े थे। यहां उन्हें हथियार के तौर पर एम-40 स्कोप राइफल मिली, जिसके बारे में वह पहले से जानते थे। चार्ल्स की तैनाती वियतनाम के जंगलों में थी और आदेश था कि दुश्मन सामने दिखते ही ढेर कर देना है।
चार्ल्स के बारे में कहा जाता है कि वह 1000 गज की दूरी से निशाना भेद देते थे। इसी तैनाती के दौरान 14 फरवरी की रात उनकी टुकड़ी को पता चला कि दुश्मन उनके इलाके में हमला करने के फ़िराक में है। चार्ल्स ने अपनी नई नवेली एम-14 नाईट विजन स्कोप बंदूक थाम ली। वियतनाम के जगलों में जैसे ही दुश्मन उनके इलाके में कदम रखा तो 30 सेकेंड में 16 दुश्मन ढेर हो चुके थे।
मरीन कमांड में चार्ल्स चक के नाम रिकॉर्ड दर्ज हो गया। एक बार में इतने कम समय में किसी भी सैनिक ने इतने हेडशॉट नहीं लिए थे। चार्ल्स ने 30 सेकंड में 16 गोलियां चलाई थीं और वह 16 सीधा दुश्मन के सिर पर जाकर लगीं थी। वियतनाम में चार्ल्स चक करीब एक साल तक रहे और तमाम जगहों पर ऑपरेशन को अंजाम दिया। हर मिशन में अपनी टुकड़ी के शान हुआ करते थे।
चार्ल्स चक के नाम उस साल 103 दुश्मनों को ढेर करने का रिकॉर्ड था, जिनमें से 30 सेकेंड में 16 दुश्मन ढेर करने वाली बात के काफी चर्चे थे। एक साल बाद चार्ल्स को सेना ने वापस घर जाने का आदेश दे दिया। जब वह वापस वतन लौटे तो उन्होंने सेना को नहीं छोड़ा बल्कि अन्य सैनिकों को ट्रेनिंग देने लगे।