देश भर के राज्यों में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी को पुलिस विभाग संभालता है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में शांति बनाये रखने के लिए विभाग के पास पुलिस बल होता है। यह बाकायदा एक कड़ी होती है जिसके तहत जिले में पुलिस विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी नजर बनाकर रखता है और समय-समय पर अंतर्गत आने वाले अधिकारियों से संवाद के जरिये जानकारियां लेता रहता है।
हालांकि, पुलिस विभाग में कई बड़े पदों के चलते आम नागरिक को उनके कामकाज को समझने में समस्या होती है, ऐसे में आज बताते हैं कि जिले में पुलिस विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी कौन होता है। लेकिन इसी क्रम में हमें जिला पुलिस और उसके तहत आने वाले उपविभागों को समझना भी आवश्यक है।
क्या है जिला पुलिस: किसी भी राज्य की जिला पुलिस का काम जिले में शांति और कानून व्यवस्था को संभालना और उसे मजबूत करना होता है। हर जिले में क्षेत्र के अनुसार थाने और उनसे सम्बंधित चौकियां होती हैं। यहएक मॉडल के रूप में काम करता है जो विभाग को मजबूत बनाता है। पुलिस विभाग के भी कई अलग-अलग हिस्से होते हैं। जिनमें फायर ब्रिगेड, एलआईयू, शस्त्र पुलिस बल, ट्रैफिक पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा शामिल होती है। हालांकि, जिले के इन सभी विभागों का मुखिया एक ही होता है।
ये होता है जिला पुलिस का मुखिया: किसी भी राज्य में जिले के क्षेत्रफल और जनसंख्या के आधार पर पुलिस विभाग में पद रखा जाता है। लेकिन जनपद में पुलिस विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी एसएसपी या एसपी होता है। एसएसपी को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जबकि एसपी को पुलिस अधीक्षक के नाम से जाना जाता है। ये अफसर भारतीय पुलिस सेवा से चयनित होकर आते हैं, जिन्हें आईपीएस अधिकारी कहा जाता है।
ये हैं अधिकार: एसएसपी या एसपी ही जिले में पुलिस विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी होता है, जिन्हें आम जनता कप्तान के नाम से ज्यादा जानती है। एसएसपी या एसपी के पास ही जनपद में अधिकारी व कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार होता है। इसके अलावा ट्रांसफर, विभागीय कार्रवाई का अधिकार भी एसएसपी या एसपी के पास ही होता है। जब भी राष्ट्रीय पर्व या अन्य किसी परेड का कार्यक्रम होता है तो जनपद में पुलिस विभाग के मुखिया को ही सलामी दी जाती है।
कमिश्नरेट प्रणाली होती है अलग: हालांकि, प्रदेश के जिन जिलों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली को लागू किया जाता है वहां एसएसपी या एसपी की जगह पुलिस आयुक्त (पुलिस कमिश्नर) की तैनाती की जाती है। कमिशनरी प्रणाली के तहत जनपद को अलग-अलग जोन में बांट दिया जाता है और फिर उन इलाकों में पुलिस उपायुक्त यानी डिप्टी पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति की जाती है।