जम्मू-कश्मीर में प्रशासन ने हाल ही में कई धार्मिक मौलवियों और स्कॉलर्स को जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) गिरफ्तार किया है। इस संबंध में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) विजय कुमार ने कहा है कि कुछ मौलवियों को हिरासत में लिया गया था क्योंकि वे “युवाओं को उकसा रहे थे” और उन्हें इसके लिए पहले चेतावनी भी दी गई थी। हालांकि, उनके खिलाफ आरोप तय नहीं किए गए हैं।
ऐसे मामलों में आगे भी होगा एक्शन- ADGP विजय कुमार
एडीपीजी विजय कुमार ने कहा कि “ऐसी खबरें हैं कि कुछ अन्य मौलवी भी इसी तरह की गतिविधियों में शामिल हैं। एडीजीपी कुमार ने कहा यदि हमें उनके खिलाफ उचित सबूत मिलते हैं तो उन पर भी मामला दर्ज किया जाएगा।”
घाटी में जारी है विरोध, रिहाई की उठी मांग
कश्मीर घाटी में धर्मगुरुओं और स्कॉलर्स की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए मुत्तहिद मजलिस-ए-उलेमा, कश्मीर के विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक संगठनों के एक प्रतिनिधि मंडल ने शुक्रवार को तत्काल रिहाई की मांग की थी। प्रतिनिधि मंडल का कहना था कि इन सभी की “प्रतिष्ठा को धूमिल” करने के लिए गिरफ्तारी की गई है।
इन मौलवियों और स्कॉलर्स को किया गया है अरेस्ट
घाटी में गिरफ्तार किए गए लोगों में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के एक पूर्व प्रमुख डॉ अब्दुल हमीद फैयाज, प्रमुख सलाफी उपदेशक मौलाना मुश्ताक अहमद वीरी और सूफी धर्मगुरु अब्दुल राशिद दाऊदी शामिल हैं।
डॉ. अब्दुल हमीद फैयाज: दक्षिण कश्मीर के शोपियां के रहने वाले डॉ. फैयाज जमात-ए-इस्लामी, जम्मू और कश्मीर के अमीर-ए-आला (प्रमुख) थे, जिसे साल 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा बैन कर दिया गया था। वह 1976 से जमात से जुड़े हुए हैं। मंत्रालय ने जमात पर आरोप लगाया था कि वह जम्मू-कश्मीर और अन्य जगहों पर उग्रवाद और “राष्ट्र विरोधी गतिविधियों” का समर्थन करने वाले आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में हैं। फैयाज को उस समय भी पीएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था।
मौलाना मुश्ताक अहमद भट उर्फ मुश्ताक वीरी: दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग के वीरी गांव से आने वाले मुश्ताक वीरी जम्मू-कश्मीर जमीयत अहली-हदीथ नाम के एक सलाफी संगठन से जुड़े हैं। 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को निरस्त करने के बाद पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। हालांकि, बाद में वीरी को छोड़ दिया गया।
अब्दुल रशीद दाऊदी: दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में रहने वाले अब्दुल रशीद घाटी के प्रमुख बरेलवी मौलवी हैं। साल 2005 में, दाऊदी ने अपना संगठन सौत-उल-अवालिया (द वॉयस ऑफ सेंट्स) शुरू किया। बरेलवियों को सलाफियों के बिल्कुल विपरीत माना जाता हैं। दाऊदी पर साल 2006 में संदिग्ध आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका था, जिसमें वह बच गए थे। हालांकि, ऐसा पहली बार है जब उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
गाजी मोइन-उल-इस्लाम: मोइन-उल-इस्लाम कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के संस्थापकों में से एक है। वह कुछ समय के लिए जमात-ए-इस्लामी से जुड़े थे, जिसे अब बैन कर दिया गया है। गाजी, श्रीनगर के सौरा के रहने वाले हैं और घाटी के विभिन्न मस्जिदों में शुक्रवार को उपदेश देने वाले एक प्रमुख उपदेशक हैं।
फहीम रमजान: श्रीनगर के लालबाजार में रहने वाले फहीम रमजान भी जमात-ए-इस्लामी से जुड़े रहे हैं। रमजान की युवाओं के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है और वह फरवरी 2019 में प्रतिबंधित होने तक जमात के महासचिव थे।