साल 1955 के बाद मुंबई अंडरवर्ल्ड में हाजी मस्तान खुद को स्थापित कर रहा था। बखिया बंधुओं के साथ काम करते हुए उसे सोने की तस्करी में बड़ा नेटवर्क बना लिया था। साथ ही हाजी मस्तान की डॉकयार्ड और समुद्री सीमाओं में काम करने वाले तस्करों में उसकी गहरी पैठ थी। वहीं इस दौर में मस्तान को समझ आ चुका था कि पैसे के अलावा खुद की धाक बनाए रखने के लिए मसल पॉवर की भी जरूरत है।

ऐसे में हाजी मस्तान ने उस समय के दूसरे नामी करीम लाला के साथ गठजोड़ किया। 1969 में युसूफ पटेल की हत्या के प्रयास और उसके बॉडीगार्ड के हत्या के मामले में हाजी मस्तान, करीम लाला और अन्य 11 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। हालांकि, थोड़े दिनों बाद युसूफ पटेल और हाजी मस्तान दोनों एक दूसरे के करीब हो गए।

इन सब घटनाक्रमों के बीच में सबसे दिलचस्प वाकया हाजी मस्तान और वरदराजन मुदालियार के गठजोड़ का है। एस. हुसैन जैदी ने अपनी किताब ‘डोंगरी टू दुबई’ में यह किस्सा लिखते हुए बताया कि हाजी मस्तान को कुछ ऐसे लोगों की आवश्यकता थी जो उसके लिए काम कर सके और उनकी लोगों के बीच अच्छी पैठ हो। ऐसे में उन्हें तमिलनाडु के वरदराजन मुदालियार के बारे में पता चला जिसकी मुंबई में रहने वाले तमिल लोगों के बीच मजबूत पकड़ थी।

वरदराजन उन दिनों कस्टम्स डॉक इलाके में तस्करी के धंधे में लिप्त था। एक बार उसे पुलिस ने एंटीना चुराने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। वरदराजन उतना पढ़ा लिखा नहीं था लेकिन तमिल और अंग्रेजी ठीक से पढ़ लेता था। हालांकि, हिंदी केवल समझ भर लेता था। पुलिस ने कई दिनों तक उससे पूछताछ की लेकिन वरदराजन ने चोरी के माल की जगह नहीं बताई। इसी बीच हाजी मस्तान को इस बात की खबर लगी।

हाजी मस्तान कस्टम्स डॉकयार्ड के इलाके में स्थित पुलिस स्टेशन में वरदराजन से मिलने पहुंचा। हाजी मस्तान उस वक्त सफेद कपड़े पहनता था और सिगरेट का शौकीन था। पुलिस स्टेशन पहुंचते ही हाजी मस्तान हवालात के पास गया और वरदराजन की ओर इशारा करते हुए तमिल में अभिवादन करते हुए कहा: ‘वणक्कम थलईवर’। इतना सुनते ही वरदराजन चौंक गया क्योंकि इससे पहले उसे कभी किसी ने ‘थलईवर’ नहीं कहा था। दरअसल, तमिल भाषा में इस शब्द का इस्तेमाल ‘कमांडर या चीफ’ के लिए किया जाता है।

चूंकि, हाजी मस्तान खुद भी तमिलनाडु से था; ऐसे में उसने वरदराजन को थलईवर कहा। इसके बाद हाजी मस्तान ने वरदराजन से कहा कि तुम चुराया हुआ एंटीना वापस कर दो और मेरे सोने के व्यापार में साझेदार बन जाओ। बिना जान-पहचान के व्यक्ति द्वारा इस तरह की पेशकश वरदराजन के मन में संदेह पैदा कर रही थी।

ऐसे में चतुरता से वरदराजन ने हाजी मस्तान से पूछा कि मेरे साथ आने से तुमको क्या फायदा होगा? मस्तान ने कहा, “मैं तुम्हारे बाहुबल को इस्तेमाल में लाना चाहता हूं।” इसके बाद जब वरदराजन जेल से बाहर आया तो हाजी मस्तान के साथ जुड़ गया। देखते ही देखते 70 के दशक तक मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में हाजी मस्तान, करीम लाला और वरदराजन के मजबूत गठजोड़ का सालों तक राज बना रहा।