साल 2018 में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ऐसा कारनामा किया जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। लगभग एक साल तक तक चले मोसाद के एक ऑपरेशन को 31 जनवरी की रात अंजाम दिया गया। फिर साढ़े छह घंटे के ऑपरेशन के बाद ईरान के नाक के नीचे से इजरायली एजेंट ‘न्यूक्लियर सीक्रेट’ उड़ा लिए। इसमें बताया गया कि यह एजेंट्स अपने साथ 50 हजार पन्ने की रिपोर्ट, 163 कॉम्पैक्ट डिस्क और वीडियो फाइल्स ले गए।
दरअसल, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस पूरी कहानी की स्क्रिप्ट कई सालों पहले ही लिख दी थी। फिर करीब एक साल तक परमाणु कार्यक्रमों के दस्तावेज वाले गोदाम की निगरानी पर एजेंट्स को पता चल गया था कि यहां गार्ड्स कब आते हैं, कब जाते हैं और किस समय में गोदाम में जाया जाए ताकि सुरक्षित वापस आया जा सके। एजेंस्त को सख्त हिदायत थी कि वह कुछ भी गड़बड़ न करें।
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में इस पूरी कहानी को बताया गया है। इजराइली एजेंट्स से कहा गया था कि ईरान के गार्ड सुबह की शिफ्ट में 7 बजे आते हैं। इसलिए जब ही रात में गोदाम में घुसे तो सुबह 5 बजे तक हर हाल में गोदाम से बाहर जा जाएं अन्यथा सारा ऑपरेशन फेल हो जाएगा। मोसाद ने तेहरान में मौजूद इस गोदाम के बारे में सारी जानकारी हासिल कर ली थी।
इसके अलावा मोसाद ने यह प्लान भी बना लिया था कि अलार्म को निष्क्रिय करने के बाद दो बड़े दरवाजे खोलने और फिर दर्जन भर लॉकर को खोलने में कुल 6 घंटे 29 मिनट का समय लगेगा। 31 जनवरी की रात एजेंट्स तय योजना के मुताबिक गोदाम में पहुंचे और फिर उन तिजोरियों को तोड़ा जिनमें सबसे महत्वपूर्ण परमाणु कार्यक्रमों के दस्तावेज थे। नियत समय में एजेंट्स ने काम पूरा कर लिया।
काम पूरा होते ही सभी एजेंट्स सीमा की तरफ भागे उनके पास 50 हजार पन्ने की रिपोर्ट, 163 कॉम्पैक्ट डिस्क और कई वीडियो फाइल्स थी। अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस उपलब्धि की ‘निजी तौर पर जानकारी दी थी। इन दस्तावेजों से यह बात साबित हुई कि ईरान नाभिकीय हथियार बनाने की तैयारी कर रहा है।
हालांकि, इस चोरी का पता चला तो ईरान ने कहा पूरी कहानी फर्जी है ताकि इजराइली फिर से ईरान पर प्रतिबंध लगवा सके। साथ ही कहा गया कि यह सभी दस्तावेज करीब 15 साल पुराने हैं। हालांकि अमेरिकी और ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों ने इन दस्तावेजों को देखने और कुछ पुराने दस्तावेजों से तुलना करने के बाद माना है कि ये असली डॉक्युमेंट्स हैं।