दुनियाभर में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद अपने अभियानों के लिए मशहूर है। साल 2021 के सितंबर महीने में मोसाद के दो एजेंट्स ने एक खुफिया अभियान के चलते ईरान के जनरल को किडनैप कर लिया था। इस अपहरण के पीछे इजराइल का एक ख़ास मकसद था। चौंकाने वाली बात यह थी कि इस मिशन की पुष्टि अक्टूबर माह में तत्कालीन प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट ने संसद में की थी।
नेफ्टाली बेनेट के मुताबिक, मोसाद ने कुछ दशकों पहले लापता हुए इजराइल के एयरमैन रॉन अराद का पता लगाने के लिए ये मिशन शुरू किया था। बता दें कि, साल 1986 में लेफ्टिनेंट रॉन अराद का विमान लेबनान में क्रैश हो गया था। इस हादसे के बाद बैकअप हेलिकॉप्टर ने पायलट को बचा लिया गया, लेकिन रॉन लेबनान के शिया मुस्लिम आतंकी संगठन अमाल के हत्थे चढ़ गए थे।
अमाल ने पत्र भेजकर 200 लेबनानी, 450 फिलीस्तीन कैदियों और 22 करोड़ रुपए के बदले रॉन को छोड़ने की पेशकश की थी। हालांकि, शर्त मानने से इजरायल ने इंकार कर दिया। फिर जुलाई, 1989 में लेबनान के जिप्सित गांव में कुछ हेलिकॉप्टर उतरे, इनमें इजराइल के कमांडो सवार थे। ये सभी हिजबुल्लाह के लीडर शेख अब्दुल्ला करीम उबैद को दबोचने आए थे, अगले चंद मिनटों में उबैद उनके कब्जे में था।
हालांकि, असली मुश्किल तब खड़ी हुई जब आसपास के लोगों को इजराइली कमांडो के मूवमेंट का पता चल गया। मस्जिदों से ऐलान हुआ कि इजराइली कमांडों को निकलने नहीं देना है। हालांकि, तब तक देर हो चुकी थी और इसके बाद मई 1994 में अमाल के मोहम्मद दिरानी को किडनैप किया गया। जिसने बताया कि रॉन को उसने पहले हिजबुल्लाह को दिया फिर उसे ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स को बेच दिया गया।
फिर मामला कोर्ट में पहुंचा तो दिरानी अपने दावे से मुकर गया और फिर एक समझौते के तहत साल 2004 में रिहा हो गया। मिशन रॉन अराद थम चुका था लेकिन मोसाद भूला नहीं था इसलिए उसने नई जानकारियां जुटाने के लिए सितंबर, 2021 में एक ईरानी जनरल को सीरिया से किडनैप कर लिया था। अल-योम अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल को अफ्रीका ले जाया गया, जहां उनसे पूछताछ की और फिर छोड़ दिया।
बेनेट ने संसद में ऑपरेशन के बारे में बताते हुए कहा कि रॉन अराद की खोज जारी है, हालांकि वह मिशन की जानकारी देने से बचते नजर आए थे। बता दें कि एयरमैन रॉन अराद के बारे में साल 2016 में लेबनान के अखबार में भी रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जिसमें बताया गया कि उनकी मौत साल 1988 में बेरूत में हो चुकी है। यहां तक कि इजराइली मिलिट्री कमीशन खुद मानता है कि रॉन अराद की मौत 90 के दशक में हो गई थी लेकिन रॉन का परिवार इन दावों को हमेशा नकारता रहा है।