मुंबई में अंडरवर्ल्ड को विस्तार देने वालों में सबसे बड़ा नाम दाउद इब्राहिम का आता है। दाउद ने अपनी डी-कंपनी के नेटवर्क में कई बड़े अपराधियों को जगह दी थी जो देश व समाज को समय-समय पर नुकसान पहुंचा रहे थे। 1993 में मुंबई बम धमाके हुए तो दाउद इब्राहिम गुनाहगार निकला। हालांकि, माना जाता रहा है कि अयोध्या में हुए बाबरी विध्वंस के चलते ही इतनी बड़ी आतंकी साजिश को अंजाम दिया था।

मुंबई सीरियल बम धमाके साल 1993 में हुए थे और उससे पहले देश में राम मंदिर आंदोलन की बयार थी। जब अयोध्या में 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ तो मुंबई समेत देश के कई हिस्सों में दंगे भड़क गए थे। जिसके एक साल बाद ही मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाकों की साजिश रची गई थी।

इन धमाकों के पीछे देश की जांच एजेंसियों को कई किरदारों के बारे में पता चला था जिनमें से दाउद इब्राहिम, अबू सलेम, टाइगर मेमन, फारुख टकला, याकूब मेमन जैसे नाम मुख्य थे। हालांकि, इन धमाकों में कई सारे लोगों को मिलीभगत थी, इसमें से कई आरोपियों को सजा मिल चुकी लेकिन एक सबसे बड़ा नाम गिरफ्त से बाहर है तो वह दाउद इब्राहिम है।

अयोध्या का बाबरी मसला इन धमाकों की नींव था, क्योंकि इस बारे में लेखक एस हुसैन जैदी ने भी अपनी किताब ‘ब्लैक फ्राइडे’ में जिक्र किया था। इस वाकये को बताते हुए जैदी लिखते हैं कि – जब अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराया गया तो कुछ मुस्लिम महिलाओं ने दाउद को लानत स्वरूप चूड़ियां भेजी थी। जैदी ने किताब में बताया था कि लोग दाउद पर एक प्रकार से दबाव बनाने की कोशिश में थे।

वहीं मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रहे राकेश मरिया ने भी अपनी किताब ‘लेट मी से नाउ’ (Let Me Say It Now) में इस बात का दावा किया था कि बाबरी विध्वंस के बाद भड़के दंगों का कुछ लोग बदला लेना चाहते थे। जिसके लिए दाउद से मदद मांगी गई थी और जब वह नहीं माना तो उसे चूड़ियां भेजी गई थी।

राकेश मारिया इन धमाकों के समय ट्रैफिक डीसीपी के पद पर थे। उन्होंने किताब में लिखा था कि चूड़ियां भेजने वाली बात ही दाउद को चुभ गई थी, इसके बाद ही उसने टाइगर मेमन, अबू सलेम, मोहम्मद दौसा व अन्य के साथ मिलकर मुंबई बम धमाकों की साजिश रची थी।