विकास दुबे के एनकाउंटर की कहानी धीरे-धीरे सामने आ रही है। दुर्दांत अपराधी के एनकाउंटर को लेकर पुलिस ने प्रेस रिलीज जारी की है। पुलिस ने बताया कि जिस गाड़ी में विकास दुबे बैठा था उसके सामने भैंसों का झुंड आ गया था जिसके बाद ड्राइवर ने बचाने के लिए गाड़ी मोड़ी जिससे गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई। इस दौरान पुलिसकर्मी थके हुए थे। विकास ने मौका देखकर पुलिसकर्मी का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। उसे रोकने की कोशिश की गई तो उसने पुलिस पर गोलियां चलाईं जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया।
स्पेशल टास्क फोर्स ( STF)के बयान के में कहा गया है कि अभियुक्त विकास दुबे को एसटीएफ उप्र लखनऊ टीम द्वारा पुलिस उपाधीक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी वाहन से लाया जा रहा था। इस दौरान जनपद कानपुर नगर के सचेण्डी थाना क्षेत्र के आने वाले कन्हैया लाल अस्पताल के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग थाना सचेण्डी, कानपुर के पास पहुंचे थे कि अचानक गाय भैंसों का झुण्ड भागता हुआ मार्ग पर आ गया। लम्बी यात्रा से थके हुए चालक द्वारा इन जानवरों को बचाने के लिए अपने वाहन को अचानक मोड़ने पर वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया। इस दौरान कुछ पुलिसवालों को चोट भी आई।
इस मौके को देखते हुए विकास दुबे ने घायल निरीक्षक रमाकान्त पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींच लिया और दुर्घटनाग्रस्त वाहन से निकलकर कच्चे मार्ग पर भागने लगा। पुलिस ने जब विकास का पीछा किया तो विकास ने जान से मारने की नियत से पुलिस से छीनी गई बंदूक से फायरिंग करने लगा। पुलिस ने उसे जिंदा पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह ताबड़तोड़ फायरिंग करता रहा। इससे पुलिस ने आत्मरक्षा में उसपर फायरिंग की जिससे उसे गोली लगी बाद में उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया जहां उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित करार दिया।
प्रशांत कुमार, उत्तर प्रदेश ADG ने बताया कि कानपुर मुठभेड़ में कुल 21 अभियुक्त नामजद थे और 60 से 70 अन्य अभियुक्त थे। जिसमें से अब तक 3 लोग गिरफ्तार हुए हैं, 6 मारे गए हैं और 120 बी के अंदर 7 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। 12 इनामी बदमाश वांछित चल रहे हैं। बता दें कि कानपुर के बिकरू गांव में 2-3 जुलाई की रात सीओ और तीन सब इंस्पेक्टर समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला विकास दुबे बिकरू एनकाउंटर के आठवें दिन पुलिस एनकाउंटर में ढेर हो गया।