शुभम गुप्ता की कहानी उन हजारों युवाओं को प्रेरणा दे सकती है जो यूपीएससी 2018 में 6वीं रैंक लाकर IAS अधिकारी बने थे। शुभम गुप्ता का परिवार मूल रूप से राजस्थान के जयपुर का रहने वाला है। उनके परिवार की परिस्थितियां काफी विपरीत थीं। वह बहुत कम उम्र में ही अपने पिता की मदद करते थे और घर के काम में भी हांथ बंटाते थे। शुभम का इससे पहले भी यूपीएससी में चयन हो गया था।

इससे पहले यूपीएससी में शुभम गुप्ता की 366 रैंक आई थी। लेकिन इस रैंक के साथ उन्हें आईएएस नहीं मिल रहा था। उन्हें इंडियन एकाउंट्स सर्विस में भेजा गया था। फिलहाल उन्होंने इसमें जॉइन कर लिया था और ट्रेनिंग के दौरान ही दोबारा यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। शुभम गुप्ता ने हाल नहीं मानी और दोबारा अपने नोट्स और रणनीति बनाई और ये साबित कर दिया कि उनके लिए कोई लक्ष्य दूर नहीं है। यूपीएससी 2018 में उनकी 6वीं रैंक आई थी।

शुभम गुप्ता को इसके बाद महाराष्ट्र कैडर मिला था। अभी वह महाराष्ट्र एतापल्ली जिले के असिस्टेंट कलेक्टर हैं। शुभम ने BDO रहते हुए कई काम किए थे। शुभम ने अपने एक ट्वीट में बताया था, ‘BDO चार्ज के दौरान, मैंने सभी सरकारी स्कूलों में WiFi कनेक्शन लगवाने का फैसला किया था। दुर्भाग्यवश, वह मेरे समय पर पूरा नहीं हो पाया था। मुझे कुछ समय पहले एजुकेशन ऑफिसर की तरफ से ये तस्वीरें प्राप्त हुईं कि काम पूरा हो गया है। ये सच में दिल जीत लेने वाला है।’

शुभम से एक बार उनकी सफलता का मूल मंत्र पूछा गया था। उन्होंने बताया था, ‘इस परीक्षा में केवल आपके ज्ञान को नहीं परखा जाता बल्कि आपका ओवरऑल डेवलेपमेंट देखा जाता है, आपकी पर्सनेलिटी चेक की जाती है। इसके लिए जरूरी है कि आसपास हो रही घटनाओं पर कैंडिडेट पैनी निगाह रखें। ढ़ाई करें लेकिन साथ ही देश-दुनिया से कनेक्ट भी रहें। सोशल मीडिया बंद कर देना, टीवी न देखना, किसी से न मिलना जैसी सलाह वे नहीं देते।’