झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य से एक गरीब किसान का बेटा जब यूपीएससी (UPSC) क्लियर करता है, तो उसकी संघर्ष की कहानी एक अलग ही सीमा तक पहुंच चुकी होती है। यहां पूरा परिवार मिलकर संघर्ष करता है, जब जाकर कोई युवक सफलता की ऊंचाई पर पहुंचता है। ऐसी ही कहानी है आईपीएस इंद्रजीत महथा (IPS Indrajeet Mahatha) की।
इंद्रजीत का परिवार काफी गरीब था। झारखंड के बोकारो जिले के एक छोटे से गांव में जन्म लेने वाले इंद्रजीत जब पांचवीं में थे, तभी से अफसर बनने का सपना देखने लगे थे। आईबीएन-7 के साथ एक इंटरव्यू में इंद्रजीत बताते हैं कि जब पांचवीं में जिला प्रशासन के बारे में टीचर ने बताया, तभी वो अफसर बनने का तय चुके थे।
इंद्रजीत के पिता किसान थे और घर किसी तरह से चल रहा था। इंद्रजीत जिस मकान में रहते थे, वो कच्चा था और दीवारों में दरार पड़ने लगी थी। घर की हालत देखकर इंद्रजीत की मां और बहन उनके ननिहाल चले गए। पढ़ाई के कारण इंद्रजीत उसी घर में रहे। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि पिता सिर्फ आदमी के सहयोग ने उस मकान को रिपेयर कर पाए थे।
इंद्रजीत (IPS Indrajeet Mahatha) की पढ़ाई जैसे-तैसे चल रही थी। रद्दी की किताबों से इंद्रजीत अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए थे। तब इतने पैसे नहीं थे कि नई किताबे वो खरीद पाते, पुरानी किताबों से ही वो काम चला रहे थे। ग्रेजुएशन के लिए जब वो दिल्ली पहुंचे तो उनके पिता ने पढ़ाई के लिए खेत बेचना शुरू कर दिया।
पहली बार जब यूपीएससी (UPSC) में इंद्रजीत को सफलता नहीं मिली, तो पिता ने उनकी हिम्मत बढ़ाते हुए कहा था कि अभी तो खेत बिका है, तुम्हें पढ़ाने के लिए तो मैं अपनी किडनी तक बेच दूंगा। तुम पैसों की चिंता बिलकुल मत करो। पिता का त्याग और इंद्रजीत की मेहनत तब सफल हो गई, जब उन्होंने दूसरी बार में यूपीएससी क्लियर कर लिया। इंद्रजीत अपने इलाके के पहले ऐसे युवक थे, जिन्होंने सिविल एग्जाम पास किया था।
आईपीएस के लिए चयन होने के बाद इंद्रजीत (IPS Indrajeet Mahatha) ने दूसरे कैंडिडेट को सफलता के लिए टिप्स देते कहते हैं कि इच्छा करने से कुछ नहीं होता है, इरादे मजबूत और कड़े संघर्ष से ही सफलता हासिल होती है।
