कहते हैं कि अगर आपके सपनों में जान है, और उसे पूरा करने के लिए आपमें लगन है तो आपकी सफलता निश्चित है। ऐसी ही सफलता पाने वाली तमिलनाडु की पूर्णा सुंदरी की सफलता की कहानी असाधारण है। वो जब पांच साल की थीं तो उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। हालांकि इस चीज को उन्होंने अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

बता दें कि पूर्णा सुंदरी ने 5 साल तक सामान्य बच्चों की तरह ही पढ़ाई की। लेकिन इसके बाद उनके आंखों की रोशनी कम होती गई। आगे चलकर उन्हें दोनों आंखों से दिखाई देना बंद हो गया। हालांकि उन्होंने सपने देखना जारी रखा। जिंदगी में उनके अंधेरा तो था लेकिन अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने लगन के साथ मेहनत जारी रखी।

तमिलनाडु में मदुरै की पूर्णा ने 2019 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 286वीं रैंक हासिल की। उन्होंने यह सफलता अपने चौथे प्रयास में हासिल की। इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिले। असफलता पाने से वो निराश नहीं हुईं। बल्कि उन्होंने अपनी कमियों को दूर किया और अपनी लगन को बनाए रखना। अंतत: उन्हें चौथे प्रयास में सफलता मिली। जिसका श्रेय वो अपने माता-पिता को देती हैं। उनका कहना है कि बुरी से बुरी परिस्थितियों में उनके माता-पिता उनका हौसला बढ़ाते रहे।

27 वर्षीय पूर्णा सुंदरी ने पांच साल तक तैयारी की। उन्होंने कहा, ‘तैयारी करने के लिए मैंने ऑडियो फॉर्मेट में मौजूद अध्ययन सामग्री की सहायता ली। इसके अलावा लैपटॉप से स्पीकिंग सॉफ्टवेयर की भी मैंने मदद ली। तैयारी के दौरान मेरे माता-पिता ने मुझे किताबें पढ़-पढ़कर सुनाई। इसमें मुझे मेरे दोस्तों और सीनियर से भी काफी सपोर्ट मिला।’

बता दें कि पूर्णा सुंदरी जब 11वीं कक्षा में थीं, तब से ही उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखना शुरू किया था। वो चाहती हैं कि शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला अधिकारिता जैसे क्षेत्रों में वो अपनी सेवा दें। बता दें कि पूर्णा के पिता एक सेल्स एग्जीक्यूटिव हैं और मां गृहणी हैं।

गौरतलब है कि सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इसमें 1,000 से कम पदों के 10 लाख से अधिक उम्मीदवार आवेदन करते हैं।