मध्यप्रदेश के इंदौर में 12वीं पास दो लड़कों ने खुद को सेबी का डीजीएम बताकर कई राज्यों में लोगों से लाखों रुपए ठग लिए। तेलंगाना के हैदराबाद निवासी एक व्यक्ति ने सेबी के इंदौर कार्यालय में इसकी शिकायत की थी। सेबी ने इसकी जानकारी एसटीएफ को दी। एसटीएफ ने दोनों को गिरफ्तार किया तो मामले का खुलासा हुआ। उनके पास से एक कार, लैपटॉप, दो मोबाइल सेट, डेबिट कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, नकली चेकबुक और 50 हजार रुपए नकद बरामद हुए।
एक आरोपी जेल भी जा चुका है : एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ला के मुताबिक आरोपियों के नाम मिहिर पुत्र राजनारायण निवासी हीरानगर और यौवन पुत्र सुभाष विश्वकर्मा निवासी पलधुना उज्जैन है। यौवन पहले भी धोखाधड़ी में जेल जा चुका है और इन दिनों जमानत पर बाहर था। दोनों इंदौर में किराए के एक फ्लैट में रहते थे। इनके साथ दो अन्य लोग नवीन शर्मा और निक्की भदौरिया भी मदद करते थे। ये लोग एडवाइजरी कंपनियों के डेटा लेकर उनके यहां कॉल करते थे। खुद को ये सेबी का अधिकारी बताकर डरा धमका कर ठगी करते थे।
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फर्जी चेक का लालच देकर किया फ्राड : शिकायतकर्ता राजकुमार नंदी ने पुलिस को बताया कि आरोपियों ने प्रीमियम रिसर्च फायनेंसियल सर्विस नाम की एडवायजरी में किए गए एक लाख 90 हजार रुपए के निवेश की वापसी के लिए 54 हजार रुपए जीएसटी खुद के पीएनबी के खाते में जमा करवा लिए और फर्जी चेक का लालच देकर उनके साथ फ्राड किया। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने कई राज्यों में अपनी जाल बिछाई हुई है।
लैपटॉप से बना लिए थे फर्जी चेक : कुछ समय पहले दोनों आरोपी प्रीमियम रिसर्च फायनेंसिय सर्विस नामक कंपनी में काम करते थे। कंपनी सेबी में रजिस्टर्ड नहीं है। यहां भी वे अपना नाम बदलकर लोगों के साथ ठगी करते थे। इसी कंपनी के डेटा निकालकर इन लोगों ने शिकायतकर्ता राजकुमार नंदी को काल किया और ठगी की। उनसे मिले रुपयों को दोनों ने आपस में बांट लिए। आरोपियों ने राजकुमार की पत्नी मुनमुन नंदी के नाम से एक लाख 90 हजार रुपए का एक फर्जी चेक बैंक ऑफ इंडिया का लैपटॉप की मदद से बना लिया था।