वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 हमले के बाद आतंकी ओसामा बिन लादेन अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया था। माना जाता है कि इसी घटना के बाद अमेरिका ने लादेन को ठिकाने लगाने की कसम खा ली थी। फिर अमेरिका ने कई सालों तक पूरी दुनिया में उसके लिए तलाशी अभियान चलाए थे। हालांकि, इस काम में सफलता हाथ लगी अमेरिका के राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा को, जिनके नेतृत्व में इस पूरी योजना को 2 मई 2011 को अंजाम दिया गया था।

कई सालों तक चली खोज और खुफिया एजेंसियों की जांच पड़ताल में पता चला कि ओसमा बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में है। ओबामा ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के साथ मिलकर योजना पर चर्चा की और रेड करने को कहा। इस खतरनाक मिशन को ऑपरेशन नेप्ट्यून स्पीयर का नाम दिया गया। इसके तहत नेवी सील कमांडों को 2 मई 2011 में टारगेट पर रेड करनी थी। साथ ही आदेश था कि उन्हें ओसामा को जिंदा या मुर्दा लेकर आना है।

इस पूरे ऑपरेशन को वाइट हाउस के सिचुएशन रूम में लाइव चलाया गया। जिसे ओबामा समेत कई बड़े सैन्य अधिकारी देख रहे थे। करीब दो दर्जन नेवी सील्स के जवान दो हेलीकॉप्टर में बैठकर टारगेट की तरफ उड़ चले। कुछ देर बाद ये हेलीकॉप्टर एबटाबाद में ओसामा के ठिकाने के ऊपर जा पहुंचे और फिर नेवी सील्स के कमांडो ने नीचे उतर कर ठिकाने को घेर लिया। इतने में ही एक आतंकी की नजर इन कमांडो पर पड़ी और उसने फायरिंग शुरू कर दी।

नेवी सील्स के कमांडो दस्ते ने इस आतंकी को चंद सेकेंड में खामोश कर दिया। फिर ओसामा के कमरे की तरफ जा बढ़े जहां सन्नाटा छाया हुआ था। कुछ देर के इंतजार के बाद एक आतंकी ने फिर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसे मार दिया गया। लेकिन थोड़ी देर बाद ही कमांडो ने देखा कि लादेन का बेटा भी गोलियां चला रहा था, जो ज्यादा देर तक आमने-सामने की मुठभेड़ में टिक नहीं पाया। कमांडों उस कमरे की ओर बढ़े जहां ओसामा के होने की आशंका थी।

इमारत के तीसरी माले पर एक कमरे का दरवाजा बंद था। धीरे-धीरे कदमों से बढ़े एक नेवी सील्स के कमांडो ने एक दरवाजे को निशाना बनाया और फिर तोड़ दिया। दरवाजा खुलते ही उसे सामने अपना टारगेट ओसामा बिन लादेन दिखा। उसने बिना एक पल गंवाए ओसामा पर फायर खोल दिया। चंद सेकेंडों के भीतर दुनिया भर में आतंक का पर्याय रहा आतंकी ओसामा बिन लादेन बेजान जमीन पर जा गिरा। फिर अमेरिका का ऑपरेशन नेप्ट्यून स्पीयर पूरा हो गया।