जैसे-जैसे अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान मजबूत होते जा रहा है, वो अपने खास सहयोगी पाकिस्तान को भी आंखे दिखाने लगा है। वहीं तलिबान के सत्ता में आते ही अलकायदा भी फिर संगठित होने लगा है। ओसामा बिन लादेन का खास साथी भी नांगरहार लौट चुका है।
तालिबान का टॉप कमांडर शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने कहा है कि अफगानिस्तान को भारत और पाकिस्तान के बीच आंतरिक लड़ाई में नहीं घसीटा जाना चाहिए। सीएनएन से बात करते हुए स्तानिकजई ने कहा- हमें उम्मीद है कि वे अपनी आंतरिक लड़ाई में अफगानिस्तान का इस्तेमाल नहीं करेंगे; उनकी सीमा लंबी है, वे सीमा पर आपस में लड़ सकते हैं। उन्हें इसके लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और हम किसी भी देश को इसके लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देंगे।”
तालिबान ने यह भी कहा कि वे सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। तालिबान के भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण होने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर, शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने कहा कि ऐसा कोई इरादा नहीं है और मीडिया ऐसी खबरों को रिपोर्ट करने में गलत है। तालिबान के इस बयान से पाकिस्तान को झटका लग सकता है। पाकिस्तान, भारत के खिलाफ ही तालिबान को इस्तेमाल करने की सोच से उसका समर्थन दे रहा है।
शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में ही ट्रेनिंग ली है और उनके बैचमेट यहां उन्हें शेरू कहकर बुलाते थे।
इससे पहले, तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा था कि तालिबान को अफगानिस्तान में भारत की परियोजनाओं से कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि विद्रोही समूह पूर्व अशरफ गनी सरकार को भारत के समर्थन का विरोध कर रहा था।
उधर दूसरी ओर तालिबान के लौटने के बाद अब अलकादा ने भी अफगानिस्तान में फिर से अपना बेस बनाना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान में अल-कायदा का एक प्रमुख नेता अमीन-उल-हक अपने पैतृक प्रांत नंगरहार लौट आया है।
Dr. Amin-ul-Haq, a major al-Qaeda player in Afghanistan, Osama Bin Laden security in charge in Tora Bora, returns to his native Nangarhar province after it fell to the Taliban. Dr. Amin became close to OBL in the 80s when he worked with Abdullah Azzam in Maktaba Akhidmat. pic.twitter.com/IXbZeJ0nZE
— BILAL SARWARY (@bsarwary) August 30, 2021
अमीन-उल-हक अल-कायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन का करीबी सहयोगी था। लादेन को 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी सेना ने मार गिराया था। अमीन-उल-हक तोरा बोरा में ओसामा बिन लादेन का सुरक्षा प्रभारी था। 80 के दशक में लादेन के तब करीब हो गया, जब उसने मकतबा अखिदमत में अब्दुल्ला आजम के साथ काम किया था।
तालिबान एक तरफ शांति की बात कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अलकायदा जैसे संगठन फिर से अफगानिस्तान में सक्रिय हो रहे हैं। अलकायदा के सक्रिय होने से अमेरिका, भारत समेत कई यूरोपीय देशों को खतरा हो सकता है।