अफगानिस्तान में आने के साथ ही तालिबान ने घोषणा की थी कि वो पहले वाला क्रूर संगठन नहीं है। अपने नागरिकों को हानि नहीं पहुंचाएगा और उसके राज में सभी लोग आराम से रह सकते हैं। हालांकि बहुत कम लोगों को तालिबान के इस वादे पर भरोसा था।

जिन लोगों ने तालिबान की क्रूरता देख रखी थी, वो उसके सत्ता में आने की आशंका से ही अफगानिस्तान छोड़ कर निकल लिए थे। अफगानिस्तान में वही लोग रूके जिन्हें तालिबान पर भरोसा हुआ, या जिनके पास और कोई ऑप्शन नहीं था। इसी क्रम में कई अफगान मूल के भारतीय भी वहां रूके हुए हैं। इनमें से कई वहां व्यापार करते हैं।

इन्हीं व्यापारियों में से एक बंसरी लाल अरेन्दे का तालिबानी लड़ाकों ने अपहरण कर लिया है। बंसरी लाल को उस समय अगवा किया गया जब वो अपने दुकान पर थे। इसी दौरान हथियारों से लैस होकर तालिबानी लड़ाके वहां पहुंचे और उनका अपहरण कर लिया। इस दौरान उनके सहयोगी किसी तरह से जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। यह घटना काबुल के 11वें थाना क्षेत्र की है।

इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने कहा कि मैंने इसके बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय को सूचित कर दिया है। इस संबंध में उनके तत्काल हस्तक्षेप और सहायता का अनुरोध किया है। पुनीत सिंह चंडोक ने कहा- मुझे अफगान-हिंदू सिख समुदाय ने सूचित किया कि बंसरी लाल अरेन्दे का सुबह करीब 8 बजे उनकी दुकान के पास से अपहरण कर लिया गया। वह फार्मास्युटिकल उत्पादों का व्यापार करते हैं।

बंसरी लाल अरेन्दे का परिवार दिल्ली में रहता है। अफगानिस्तान में स्थानीय लोग इस मामले को लेकर अधिकारियों से बात कर रहे हैं। इस संबंध में एक मामला भी दर्ज किया गया है।

बता दें कि ये पहले मामला नहीं है जब तालिबानियों ने ऐसी घटना को अंजाम दिया है। तालिबान का शीर्ष नेतृत्व भले ही आम माफी की घोषणा कर सत्ता में आ गया हो, लेकिन पावर मिलते ही उसके लड़ाके लगातार उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो कभी अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार के समर्थक थे। कलाकारों को भी तालिबान नहीं बख्श रहा है और अबतक दर्जनों लोगों को मार चुका है।