केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के नये निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल साल 1985 बैच के आईपीएस अफसर हैं। महाराष्ट्र कैडर के इस अफसर को इंटेलिजेंस ब्यूरो और Research and Analysis Wing (R&AW) में काम करने का लंबा अनुभव हासिल है। मंगलवार को सुबोध कुमार जायसवाल को सीबीआई का नया चीफ बनाया गया है और दिलचस्प बात यह भी है कि उन्होंने इससे पहले कभी भी देश की इस सबसे बड़ी जांच एजेंसी के लिए काम नहीं किया है।

सुबोध कुमार जायसवाल फिलहाल सीआईएसएफ चीफ के पद पर तैनात थे। सुबोध कुमार जायसवाल को महाराष्ट्र में काम करने का लंबा अनुभव है। उन्होंने यहां एटीएस में काम किया तो वहीं मुंबई के पुलिस कमिश्नर भी रहे। इसके अलावा वो महाराष्ट्र के डीजीपी भी रह चुके हैं। जब सुबोध कुमार जायसवाल राज्य के पुलिस प्रमुख थे तब तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के तबादले को लेकर राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री अनिश देशमुख के साथ उनकी तकरार भी हुई थी।

बाद में अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। यह आरोप मुंबई पुलिस के पूर्व चीफ परमबीर सिंह ने लगाए थे। इन आरोपों की जांच सीबीआई कर रही है और जाहिर है कि सीबीआई चीफ रहते हुए इसकी जांच की कमान सुबोध कुमार जायसवाल के हाथों में ही होगी। सुबोध कुमार जायसवाल का कार्यकाल 2 साल का होगा। सुबोध कुमार जायसवाल ने कई बड़े केसों पर काम किया है।

महाराष्ट्र स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स का चीफ रहते हुए उन्होंने चर्चित तेलगी फेक स्टांप पेपर की जांच की थी। एटीएस में रहते हुए उन्होंने साल 2006 में मालेगांव ब्लास्ट केस की जांच भी की थी। जानकारी के मुताबिक सुबोध कुमार जायसवाल करीब 10 साल से रॉ में अपनी सेवा दे चुके हैं। मूल रूप से झारखंड के धनबाद जिले से ताल्लुक रखने वाले सुबोध कुमार जायसवाल जब महाराष्ट्र के डीजीपी बने थे तब उनकी देखरेख में एलगार परिषद् और भीमा कोरेगांव हिंसा केस की जांच हुई थी। हालांकि, बाद में यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था।

जब राज्य में महा विकास अघाड़ी की सरकार बनी तब ऐसी कई खबरें सामने आईं जिनमें कहा गया था कि पुलिस विभाग के संचालन को लेकर जायसवाल और नई सरकार के बीच तकरार की स्थिति उत्पन्न हुई थी, खासकर शिवसेना के साथ। सुबोध कुमार जायसवाल पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के साथ जुड़े उस कथित लॉबी के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं जो अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में शामिल था। यहां तक कि उन्होंने कुछ ट्रांसफर्स पर हस्ताक्षर करने से इनकार भी कर दिया था लेकिन बाद में उन्हें हस्ताक्षर करना पड़ा था।

ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर चल रहे तकरार के बीच ही सुबोध कुमार जायसवाल ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की मांग की थी। इसके बाद सुबोध कुमार जायसवाल को सीआईएसएफ का चीफ बनाया गया था और वो दिल्ली आ गए थे। उस वक्त पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार की कार्यशैली की वजह से सुबोध जायसवाल काफी परेशान हो गए थे।

बहरहाल आपको बता दें कि सीबीआई चीफ के लिए जिन 3 नामों का चयन किया गया था उसमें सुबोध कुमार जायसवाल सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थे। इनके अलावा जिन 2 नामों पर विचार चल रहा था उनमें सशस्त्र सीमा बल के मुखिया के आर चंद्र और गृह मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेट्री वी एस के कौमुदी शामिल थे।