जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड का वर्चस्व बढ़ने लगा तो उससे निपटने के लिए पुलिस को भी अपने काम करने का तरीका बदलना पड़ा। मुंबई पुलिस ने ऐसे अपराधियों से निपटाने का काम क्राइम ब्रांच को सौंपा। क्राइम ब्रांच जब मुम्बई से अपराध खत्म करने के लिए मैदान में उतरी तो अपराधियों की शामत आ गई। क्राइम ब्रांच के एनकाउंटर से अपराधी या तो क्राइम की दुनिया छोड़ कर सुधर गए या फिर देश से भाग गए।
उस दौर में मुम्बई पुलिस के एनकाउंटर और उनके एनकाउंटर करने वाले अधिकारी दोनों चर्चित रहे। एनकाउंटर से जहां मुम्बई में अंडरवर्ल्ड की जड़ें कमजोर हुई, वहीं इन पुलिस अधिकारियों का पद और कद भी बढ़ता रहा। आइए जानते हैं उन पुलिस अधिकारियों के बारे में जिन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता है।
सचिन वाजे
हाल के दिनों में ये नाम काफी चर्चा में रहा है। एनआईए ने जब सचिन वाजे एंटीलिया केस में गिरफ्तार किया, तब वो मुंबई पुलिस में असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात थे। वाजे पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मालिक मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी गाड़ी रखने की साजिश का आरोप है। साथ ही इस मामले से जुडे़ गवाह मनसुख हिरेन की हत्या का आरोप भी इनपर लगा है।
वाजे का जन्म 22 फरवरी 1972 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था और 1990 में सब-इंस्पेक्टर के रूप में वो राज्य पुलिस सेवा में शामिल हुए। वह पहले गढ़चिरौली के नक्सल प्रभावित इलाके में तैनात थे। 1992 में वाजे को ठाणे सिटी पुलिस में स्थानांतरित कर दिया गया।
इसके बाद, वाजे को मुंबई पुलिस की एलीट क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) में काम करने के लिए चुना गया। सचिन का करियर 30 साल का रहा, जिसके दौरान उन्होंने मुन्ना नेपाली जैसे कुख्यात गैंगस्टरों सहित 63 बदमाशों का एनकाउंटर किया।
दया नायक
दया नायक1995 में मुंबई पुलिस में शामिल हो हुए थे। उस समय मुंबई बॉम्बे के नाम से जाना जाता था। नायक 1990 के दशक के अंत में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। नायक ने अपनी पहली मुठभेड़ में छोटा राजन गिरोह के दो सदस्यों का एनकाउंटर किया था। डिटेक्शन यूनिट के सदस्य के रूप में, उन्होंने मुंबई अंडरवर्ल्ड के 80 से अधिक गैंगस्टरों को एनकाउंटर के दौरान मार गिराया था।
2006 में आपराधिक संबंधों और आय से अधिक इनकम के आरोप में नायक को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया। जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, तो उन्हें 2012 में फिर से मुंबई पुलिस में बहाल कर दिया गया। जिसके बाद जनवरी 2014 में नायक को नागपुर ट्रांसफर कर दिया गया। नायक ने कथित तौर पर नागपुर जाने से मना कर दिया था, वजह थी अपने परिवार की सुरक्षा। इसके बाद फिर से जुलाई 2015 में उन्हें निलंबित कर दिया गया। अगस्त 2015 में तबादले के आदेश को रद्द कर दिया गया और नायक को जनवरी 2016 में फिर से बहाल कर दिया गया। इन पर ऐसे तो कई फिल्में बनी हैं, लेकिन नाना पाटेकर द्वारा अभिनीत ‘अब तक छप्पन’ फिल्म, दया नायक की जिंदगी पर ही आधारित है।
प्रदीप शर्मा
उत्तरप्रदेश के आगरा में जन्मे प्रदीप शर्मा मुम्बई के एनकाउंर स्क्वाड के प्रमुख नामों में से एक हैं। इनके नाम पर सैंकड़ों एनकाउंटर दर्ज हैं। प्रदीप शर्मा 312 बदमाशों के एनकाउंटर में शामिल रहे हैं। अन्य एनकाउंटर अधिकारियों की तरह ये भी मुम्बई पुलिस से सस्पेंड और बहाल होते रहे हैं। 31 अगस्त 2008 को शर्मा को भ्रष्टाचार के आरोप में मुंबई पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन निर्दोष साबित होने के बाद 16 अगस्त 2017 को उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया। शर्मा ने 35 साल के लंबे करियर के बाद जुलाई 2019 में मुंबई पुलिस से इस्तीफा दे दिया और आधिकारिक तौर पर 13 सितंबर, 2019 को शिवसेना में शामिल हो गए। इसके बाद प्रदीप शर्मा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नालासोपारा सीट से चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 17 जून 2021 को उन्हें एंटीलिया बम प्लांटिंग मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में सचिन वाजे को भी गिरफ्तार किया गया है।
विजय सालस्कर
विजय सालस्कर मुम्बई पुलिस में वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे। इन्हें अलग-अलग मुठभेड़ों में 75-80 अपराधियों को मार गिराने का श्रेय दिया जाता है। जिसमें से अधिकांश अरुण गवली गिरोह के सदस्य थे। नवंबर 2008 के मुंबई हमलों में आतंकवादियों से लड़ते हुए सालस्कर शहीद हो गए। शहीद होने से पहले सालस्कर एंटी-एक्सटॉर्शन सेल, मुंबई के प्रमुख थे। उनकी देशभक्ति और बहादुरी के लिए 26 जनवरी 2009 को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
रविंद्रनाथ आंग्रे
रविंद्रनाथ आंग्रे 1983 में एक सब-इंस्पेक्टर के रूप में मुम्बई पुलिस में शामिल हुए थे। इसके बाद आंग्रे ने मुंबई में 33 कुख्यात गैंगस्टरों और ठाणे जिले में 21 कुख्यात अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया। आंग्रे की विशेष उपलब्धियों में मांचेकर गिरोह के सरगना सुरेश मांचेकर का एनकाउंटर, मुंबई में अमर नाइक गिरोह की कमर तोड़ना शामिल है। इसके साथ ही महाराष्ट्र पुलिस के अब तक के सबसे बड़े हथियार बरामदगी भी रविंद्रनाथ के नाम ही दर्ज है। इन हथियारों की जब्ती 1998 में हुई थी। इसमें 11 एके-56 राइफल, 2,000 से अधिक गोला-बारूद और लगभग 200 हथगोले शामिल थे।
2008 में आंग्रे पर एक बिल्डर ने जबरन वसूली का आरोप लगाया था। जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। 2011 में ठाणे जिला सत्र न्यायालय ने आंद्रे को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। जिसके बाद उन्हें फिर से मुम्बई पुलिस में बहाल कर लिया गया था।
बहाली के बाद उन्हें महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में स्थानांतरित कर दिया गया, जो नक्सली विद्रोह से जूझ रहा था। इस तबादले को आंग्रे ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें जून 2014 में मुम्बई पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद आंग्रे नवंबर 2018 में औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
