आज बात मुंबई के चर्चित वडाला एनकाउंटर की जिसमें मान्या सुर्वे को मार गिराया गया था। मुंबई में 70 के दशक से पहले शुरू हुआ मान्या सुर्वे का खौफ साल 1982 में जाकर ख़त्म हुआ। मान्या सुर्वे जितना बड़ा अपराधी था उतना ही बड़ा हठी भी था। गुस्सैल स्वभाव का मान्या सुर्वे उन दिनों दाऊद इब्राहिम का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता था। हालांकि, मुंबई पुलिस ने उसके आतंक पर रोक लगा दी थी।
मुंबई पुलिस के इतिहास में आधिकारिक तौर पर वडाला एनकाउंटर को देश का पहला एनकाउंटर माना जाता है। उन दिनों मुंबई में कई गैंग के बीच होने वाली गैंगवार के चलते आम जनता परेशान थी। साल 1980-81 में मुंबई पुलिस ने एक स्पेशल यूनिट बनाई। जिसका काम मुंबई में अंडरवर्ल्ड के बढ़ते आतंक को कम करना था। इसी यूनिट ने मान्या सुर्वे को पहले एनकाउंटर में ढेर किया था।
खौफ का दूसरा नाम रहे मान्या सुर्वे का असली नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था। उसने मुंबई के कीर्ति कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था लेकिन सौतेले भाई भार्गव दादा के चलते जरायम की दुनिया में आया था। मनोहर सुर्वे को उसके दोस्त ‘मान्या’ नाम से बुलाते थे। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उसने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक गैंग बनाया। फिर साल 1969 में एक शख्स की हत्या कर दी।
इस वारदात को अंजाम मान्या सुर्वे ने अपने भाई के साथ मिलकर दिया था। बाद में इसी मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा भी हुई थी। जब सजा के लिए उसे यरवदा जेल भेजा गया तो वहां उसने बाकी कैदियों के साथ झगड़ा शुरू कर दिया। जेल प्रशासन ने तंग आकर उसे रत्नागिरी जेल भेज दिया। इस पर मान्या सुर्वे भड़क गया और भूख हड़ताल पर बैठ गया।
कई दिनों तक भूख हड़ताल के चलते वह बीमार हो गया जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। फिर नवंबर 1979 में इलाज के दौरान ही मान्या फरार हो गया और वापस मुंबई पहुंचकर पुराने काम में लग गया। इसी बीच उसने दाऊद के भाई की भी हत्या कर दी। साथ ही इतने बड़े अपराधी का फरार होना मुंबई पुलिस की साख में दाग लगने जैसा था। कई महीनों तक पुलिस ने उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन हर बार वह बच निकला।
इसके बाद मान्या सुर्वे का केस स्पेशल यूनिट के इशाक बागवान और राजा तांबट को सौंप दिया गया। जनवरी 1982 में पुलिस को सूचना मिली की मान्या अपने प्रेमिका से मिलने वडाला के आंबेडकर कॉलेज आ सकता है। 11 जनवरी को सूचना सही साबित हुई। मुंबई पुलिस की स्पेशल यूनिट के इशाक टीम के साथ तैयार थे। कहा जाता है शायद मान्या को भनक लग चुकी थी लेकिन वडाला इलाके में हुई इस मुठभेड़ में मान्या सुर्वे को ढेर कर दिया गया।