मर्दों पर जुल्म करना उसका शौक था और उन्हें तड़पाने से उसे बेशुमार खुशी मिलती थी। सन् 1936 के आसपास जर्मनी के Buchenwald कैंप में इस महिला ने कैदियों के साथ जो कुछ भी किया उसे जानकर आप सिहर उठेंगे। इंसानों से क्रूरता बरतने की इंतहा पार करने वाली इस महिला का नाम है इल्सी कोहलर। सन् 1930 में नाज़ी पार्टी में आने से पहले कोहलर एक क्लर्क के तौर पर काम करती थी। नाज़ियों के लिए काम करते हुए उसकी मुलाकात कार्ल-ओटो कोच से हुई। कार्ल ओटो कमांडर था। कार्ल ओटो ने यहां कई सारे कैंपों में काम किया था। सन् 1936 में इल्सी कोहलर ने कार्ल-ओटो कोच से शादी रचाई। इस शादी के एक साल के अंदर ही कार्ल ओटो Buchenwald कैंप का कमांडर बन गया। यह काफी बड़ा कैंप था और इस कैंप में अलग-अलग अपराध के लिए सजा काट रहे लोग कैद किए गए थे।
कहा जाता है कि इस कैंप की दीवारों पर लिखा गया था कि ‘आपने जो कुछ भी जुर्म किया है उससे कई ज्यादा आप यहां भुगतेंगे।’ इल्सी कोहलर जब अपने पति कार्ल-ओटो कोच के साथ इस कैंप में आई तो जल्दी ही वो कैंप के कामकाज में भी शामिल हो गई। इल्सी अपने पति की मदद से इस कैंप की सुरक्षा गार्ड बन गई। कहा जाता है कि कैंप के एक चिकित्सक के सहयोग ने इल्सी ने कैंप के कई कैदियों के शरीर पर टैटू बनवा दिये। इल्सी, घोड़े पर बैठकर अक्सर कैंप का निरीक्षण करने आती थी और जिस भी कैदी का टैटू उसे पसंद आता था उस कैदी को वो पकड़ने का फरमान सुनाती थी।
इसके बाद वो कैदियों के शरीर से बेरहमी से टैटू निकलवा लेती थी लेकिन इस दौरान वो कैदियों को प्रताड़ित करने के लिए उनके खाल भी उधेड़वा देती थी और फिर असहनीय पीड़ा से कई कैदियों की मौत भी हो जाती थी। उसने मर्दों को खालों को उधेड़ कर अपने घर में सजाया। वो अक्सर कैंप जाती और कैदियों को कोड़े से पीटती भी थी। कई कैदियों को यहां गैस चैम्बर में भेज दिया जाता था और गैस चैंबर में कैदियों को घुट कर मरता देख वो काफी हंसती और खुश होती थी। खासकर बच्चों के मरने पर वो काफी प्रसन्न होती थी।
इल्सी कोहलर को इंसानी खाल इतना पसंद था कि उसने खाल इकठ्ठा करने का शौक पाल लिया। उसकी आदत सिर्फ इंसानों के खाल इकठ्ठा करने की ही नहीं बल्कि वो इंसानों के खाल से बनी चीजों का भी इस्तेमाल करती थी। वैसे कैदी जिनके शरीर पर टैटू बने हुए थे या फिर जिन्हें वो पसंद नहीं करती थी उनकी वो हत्या करा देती तथा उनके खाल निकलवा लेती थी। वो इंसानी खाल से किताब के कवर, लैंप और दूसरी सजावट की वस्तुएं बनाती थी। इतना ही नहीं वो इंसानों की चिपटी हुई खोपड़ी को घर में सजाती भी थी। उसने अपने घर में इंसान के चमड़े से सजावट के कई साजो-समान बनवा रखे थे। उसने इंसानों के चमड़े से एक लेडिज पर्स बनवाया था जिसे वो हमेशा अपने साथ रखती थी। वो अक्सर इस बैग को लेकर घूमती भी थी।
यह महिला कैदियों का यौन शोषण भी करती थी। वो खुलेआम कैदियों का यौन शोषण कर उन्हें टॉर्चर करती थी। उसने इंसानों के फेफड़े, खोपड़ी, हार्ट और लीवर से अपने घर को संजाया था। कहा यह भी जाता है कि इल्सी कोहलर ने कैंप के कई लोगों के साथ शारीरीक संबंध भी बनाए थे। इस कैंप की बदौलत ने उसने बेशुमार दौलत भी बनाई। साल 1941 में इल्सी कोल्हर और उसके पति पर क्रूरता तथा कालाबाजारी का केस चलाया गया। साल 1943 में इन दोनों को क्रूरता करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। साल 1947 में इल्सी कोलहर को उसके गुनाहों के लिए आजीवन उम्रकैद की सजा सुनाई गई। साल 1960 में इल्सी कोलहर की लाश लटकती हुई हालत में मिली। कहा जाता है कि इल्सी कोलहर ने आत्महत्या की थी।
