उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के उभ्भा गांव में पिछले साल जुलाई में भूमि विवाद में हुए कत्ल-ए-आम को लेकर चर्चा में आए घोरावल तहसील के चार कर्मियों समेत पांच लोगों के खिलाफ अलग- अलग मामलों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। मामले में उप जिलधिकारी प्रकाश चंद्र ने बताया कि घोरावल तहसील परिसर स्थित भवन के पिछले कमरे में पिछले दो जनवरी को जांच- पड़ताल के दौरान 35 में से 14 राजस्व बस्ते गायब पाए गए। हालांकि कमरे का ताला टूटा नहीं था। उसकी चाबी नायब नाजिर राजेन्द्र प्रसाद के पास रहती है। तहसील परिसर के सीसीटीवी कैमरे भी बंद पाए गए। इस सवाल पर कि क्या गायब हुए बस्तों में उभ्भा गांव की उस विवादित जमीन से जुड़े दस्तावेज भी थे, उप जिलाधिकारी ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया।

क्या है पूरा मामलाः अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में तहसीलदार विकास पाण्डेय ने पेशकार अखिलेश चंद्र और नायब नाजिर राजेंद्र प्रसाद के विरुद्ध फाइलें गायब होने, धोखाधड़ी एवं पत्रावलियों में हेरफेर करने के आरोप में शनिवार (11 जनवरी) को मुकदमा दर्ज कराया है। बता दें कि पिछले साल 17 जुलाई को घोरावल तहसील स्थित उभ्भा गांव में ग्राम सभा की जमीन को लेकर विवाद में बंदूकधारियों ने कम से कम 10 लोगों की हत्या कर दी थी।

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तहसीलकर्मियों पर लगा जमीन हड़पने का आरोपः ऐसे में एक अन्य मामले में घोरावल तहसीलदार ने ही तीन तहसीलकर्मियों समेत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसमें परसौना गांव की राजस्व पत्रावलियों में हेरफेर कर एवं फर्जी हस्ताक्षर बनाकर ग्राम सभा की भूमि हड़पने का आरोप लगाया गया है।

मुकदमों में दस्तावेजों के हेरफेर का लगा आरोपः दर्ज मुकदमे में कहा गया है कि सिंगरौली मध्यप्रदेश के निवासी बबूलिया, घोरावल तहसील में पेशकार अखिलेश चंद्र, तहसीलकर्मी मनोज कुमार एवं तत्कालीन कानूनगो हरिशंकर मिश्रा ने दस्तावेज में हेरफेर किया है। इसके साथ फर्जी हस्ताक्षर बनाकर ग्राम सभा की जमीन को हड़पने की साजशि भी रची है।