उत्तर प्रदेश में एक समय ऐसा था जब श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम सुनते ही उद्योगपति कांप उठते थे। रंगदारी से अपने खौफ का व्यवसाय शुरू करने वाले श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह की सुपारी ले ली थी। यूपी पुलिस को जैसे ही इसकी सूचना मिली उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। आनन-फानन में एक नई फोर्स बनाई और श्रीप्रकाश को पकड़ने की जिम्मेदारी उसे दी गई।
श्रीप्रकाश को लेकर बहुत सारी खबरें चलती हैं। कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि यूपी में श्रीप्रकाश ने आनंद पांडे की मदद से अपने खौफ का व्यवसाय शुरू किया था और देखते ही देखते ये पूरी यूपी में फैल गया था। आनंद पांडे को जानने वाले लोग बताते थे कि वह दिमाग से बहुत तेज था और शुरुआत में श्रीप्रकाश उसी के इशारों पर काम करता था। बाद में दोनों के बीच विवाद हो गया था और श्रीप्रकाश इस बात से काफी नाराज भी हो गया था।
श्रीप्रकाश उस दौरान इतना बड़ा नाम नहीं था और आनंद पांडे पुलिस की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल हो चुका था। कानपुर के गुटखा व्यापारी को अगवा कर रंगदारी के मामले में भी आनंद पांडे का नाम शामिल था। इसके बाद श्रीप्रकाश और उसके बीच कुछ विवाद हो गया था। विवाद के बाद श्रीप्रकाश ने आनंद पांडे की मुखबिरी कर दी थी। इस मुखबिरी के बाद पुलिस ने आनंद पांडे का एनकाउंटर कर दिया था। दरअसल दोनों के बीच पैसे के बंटवारे को लेकर भी विवाद हो गया था और दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने हो गए थे।
श्रीप्रकाश सिर्फ 22 साल की उम्र में देखते ही देखते सबसे बड़ा डॉन बन गया था। श्रीप्रकाश बहुत कम समय में अखबारों की हेडलाइन में शामिल हो गया था और यूपी पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया था। दरअसल वह घटना करने के तुरंत बाद यूपी का जिला पार कर जाता था, जिससे पुलिस को उसे पकड़ना मुश्किल हो जाता था।
श्रीप्रकाश बड़े से बड़े टेंडर अपने नाम कर लेता था और बाहुबली हरिशंकर तिवारी समेत अन्य दबदबे वाले लोगों को इससे खासा नुकसान होने लगा था। बाद में यूपी एसटीएफ ने श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर कर दिया।