दुनियाभर के देशों में ऐसे बेशुमार सीरियल किलर हुए जिनकी वजह से लाखों लोग दहशत के साए में रहे। इन्होंने अपने सनकी दिमाग और पागलपन की वजह से सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में भी ऐसा ही खौफनाक सीरियल किलर अहमद सुरादजी हुआ जिसकी वजह से देश में मीलों दूर की आबादी दहशत के साए में रही। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1986 और 1997 के दौरे में अहमद सुरादजी ने 42 लड़कियों और महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया। चलिए आज आपको इस सनकी किलर की पूरी दास्तान बताते हैं।-

अहमद सुरादजी ने जिन लड़कियों और महिलाओं को अपना शिकार बनाया उनकी उम्र 17 से 40 साल के बीच थी। वह हत्या के बाद शवों को आधा जमीन में दफन कर तंत्र-मंत्र करता और इस दौरान शव का मुंह अपने घर की तरफ रखता, ताकि उसे शक्ति मिले। बताया जाता है कि सुरादजी एक तांत्रिक था, इसलिए महिलाएं अपने पति या प्रेमी को अपने वश में करने के लिए उसकी मदद लेती थी। इसके लिए वह पैसा लेता और उन्हीं के घर जाकर तंत्र-मंत्र शुरू करता है। इस दौरान मौका देखकर वह उन्हीं महिलाओं की हत्या कर देता जिन्होंने उसे घर बुलाया। पशुपालक अहमद सुरादजी को नसीब केलवांग या​दातुक नाम से भी जाना जाता था।

ऐसे पकड़ गया दुनिया का सबसे खौफनाक हत्या-
अहमद सुरादजी को 30 अप्रैल, 1997 में नॉर्थ सुमात्रा की राजधानी मेडान स्थित उसके आवास से बहुत सी संख्या में शव मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया। उसकी तीन पत्नियां, जो पूर्व में उसकी बहनें थीं, को भी इन हत्याओं में मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया। इनमें एक पत्नी तुमिनी को कोर्ट ने उसके साथी के रूप में माना और मौत की सजा सुनाई। बाद में कोर्ट ने उसकी सजा कम करते हुए इसे उम्र कैद में बदल दिया।

हत्याएं-
24 अप्रैल, 1997 की बात है जब 21 साल की केमाला देवी एक रिक्शा में बैठकर सुरादजी के घर गई। मगर तीन दिन बाद भी उसका पता नहीं चल सका। तीन दिन बाद केमाला का शव गन्ने के खेत में पड़ा हुआ मिला था। इस दौरान किसी राहगीर ने शव देखकर मामले की सूचना पुलिस को दी। हत्या मामले में पुलिस सुरादजी से पूछताछ की तो उसने मना कर दिया मगर उसके घर से महिला का पर्स और ब्रेसलेट मिलने पर पुलिस का शक गहराया। 30 अप्रैल, 1997 में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ में उसने हत्या की बात स्वीकार कर ली। इस दौरान उसने जो खुलासा किया उसे सुनकर पुलिस के होश उड़ गए। हत्यारे ने स्वीकारा कि उसने इसी तरह 42 महिलाओं और लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया। 10 जुलाई, 2008 को कोर्ट के फैसले के बाद उसे फांसी पर लटका दिया गया।