बिहार चुनाव में इस बार भी दबंग प्रत्याशी अलग-अलग विधानसभा सीट से ताल ठोंक रहे हैं। लगभग सभी पार्टियों ने बाहुबली या दबंग छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है। आज हम बात कर रहे हैं गया के बेलागंज से राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव की। इस इलाके में पिछले 30 साल का इतिहास यह बताता है कि सुरेंद्र यादव की बाहुबलि छवि के सामने यहां कभी किसी अन्य दूसरी पार्टी के प्रत्याशी जीत का दंभ नहीं भर सके हैं।
साल 1959 में एक किसा परिवार में जन्में सुरेंद्र यादव की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गया में ही हुई। मगध यूनिवर्सिटी से ही पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले सुरेंद्र यादव की इलाके में पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। वैसे तो महज 22 साल की उम्र में सुरेंद्र यादव राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के संपर्क में आए थे और उसी वक्त से उनके सितारे राजनीति में बुलंद रहे हैं।
हालांकि ऐसा नहीं है कि सुरेंद्र यादव का अब तक का राजनीतिक सफऱ साफ-सुथरी छवि के साथ पूरा हुआ है। उनपर हत्या के प्रयास, दंगा करने और आपराधिक साजिश रचने समेत कई संगीन आरोप लग चुके हैं। जरा राजद प्रत्याशी के आपराधिक इतिहास पर भी एक नजर डाल लीजिए।
90 के दशक में संसदीय चुनाव के दौरान सुरेंद्र यादव उस वक्त अचानक सुर्खियों में आ गए जब उनपर एक पूर्व विधायक जय कुमार पलित को पीटने का आरोप लगा। इस पिटाई से पूर्व विधायक को काफी चोटें आई थीं औऱ उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। साल 2002 में अतुल प्रकाश नाम के एक युवक को पुलिस कस्टडी से किडनैप कर लिया गया था। इस किडनैपिंग में सुरेंद्र यादव का नाम उछला था।
साल 2005 में चुनाव के दौरान बूथ लूटने का आऱोप भी उनपर लग चुका है। साल 1998 में सुरेंद्र यादव जहानाबाद लोकसभा सीट से 13 महीने तक सासंद रहे। इस दौरान उन्होंने उन्होंने सदन में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के हाथों से महिला आरक्षण बिल की कॉपी लेकर फाड़ दी थी। यह घटना संसदीय इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है।
साल 1985 में महज 26 साल की उम्र में उन्हें लोक दल के टिकट पर जहानाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला लेकिन वो हार गए। इसके बाद साल 1990 में उन्हें पार्टी ने बेलागंज विधानसभा सीट से उतारा। 7 बार बेलागंज विधानसभा सीट के विधायक और लोकसभा सांसद रहे सुरेंद्र प्रसाद यादव आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और अब उनके बेटे तेजस्वी यादव के भी काफी करीबी माने जाते हैं।

