पंजाब सरकार ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) के प्रमुख अधिकारी को बदल दिया है। पटियाला रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मुखविंदर सिंह छीना अब सतर्कता ब्यूरो के निदेशक राहुल एस के स्थान पर एसआईटी का नेतृत्व करेंगे। एसआईटी के अन्य सदस्य वही रहेंगे।

एक साल के भीतर दूसरी बार बदले SIT प्रमुख

एक साल के भीतर यह दूसरी बार है जब एसआईटी प्रमुख बदले गए हैं। पंजाब की भगवंत मान सरकार के आदेशों के अनुसार प्रशासनिक आधार पर बदलाव किए गए हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हरप्रीत सिंह सिद्ध की 2018 की जांच रिपोर्ट के आधार पर 46 वर्षीय मजीठिया पर दिसंबर 2021 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस (एनडीपीएस) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

AAP सरकार ने किया था SIT का पुनर्गठन

तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने एआईजी बलराज सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। राज्य में आम आदमी पार्टी (AAP) के सत्ता में आने के बाद पंजाब पुलिस ने 16 मार्च, 2022 को एसआईटी का पुनर्गठन किया था। इसकी निगरानी आईजी (अपराध) गुरशरण सिंह संधू ने की और एआईजी राहुल एस कर रहे थे।

ड्रग्स तस्करों को सरकारी आवास, वाहन और सुरक्षा देने का भी आरोप

पंजाब में कांग्रेस सरकार रहने के दौरान बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर ड्रग्स तस्करी का मामला दर्ज किया गया था। मजीठिया पर लगाए गए गंभीर आरोपों में यहां तक कहा गया कि कनाडा निवासी ड्रग तस्कर सतप्रीत सत्ता अमृतसर और चंडीगढ़ स्थित उनके सरकारी आवास पर ठहरा करते थे। मजीठिया की ओर से सतप्रीत सत्ता को गनमैन और वाहन भी दिया गया था। आरोप के मुताबिक चुनाव लड़ने के लिए मजीठिया ड्रग्स तस्करों से चंदा के तौर पर बड़ी रकम लेते थे।

Bikram Singh Majithia की ड्रग्स केस में FIR से लेकर राजनीतिक विवाद और Bail मिलने तक की पूरी कहानी | Video

मजीठिया पर ड्रग्स तस्करों के बीच समझौता करवाने का भी आरोप

शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर ड्रग्स तस्करों के बीच आपसी लड़ाई में समझौता करवाने का भी आरोप लगाया गया है। ड्रग्स केस में मजीठिया लंबे समय तक जेल में भी रह चुके हैं। साल 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले मजीठिया पर नया मामला दर्ज किया गया था। इसलिए मजीठिया ने चुनाव लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत ली और चुनाव खत्म होने पर सरेंडर कर दिया। छह महीने जेल में रहने के बाद उन्हें अगस्त 2022 में जमानत मिली थी। मजीठिया इस पूरे मामले को राजनीतिक बदले से प्रेरित कार्रवाई करार देते हैं।