पुणे पुलिस (Pune Police) ने शुक्रवार को अदालत में बताया कि लगभग छह महीने पहले फरार होने से एक दिन पहले पुणे की फर्म अष्टविनायक फाइनेंस के मालिक सेल्वा नादर ने कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी से मुलाकात की थी। फाइनेंस कंपनी कथित 300 करोड़ रुपये के ‘प्रोफ़ाइल निवेशक’ घोटाले के केंद्र में है।

शिंदे सहित तीनों आरोपियों की पुलिस रिमांड 25 जुलाई तक बढ़ाई गई

पुलिस ने कहा कि नादर और कंपनी के फाइनेंस मैनेजर प्रसाद शिंदे के बीच बैठक का विवरण मुख्य आरोपी का पता लगाने में महत्वपूर्ण हो सकता है। दलील के बाद सेशन जज केपी नांदेड़कर ने ‘धोखाधड़ी की गंभीर प्रकृति’ का हवाला देते हुए मामले में गिरफ्तार शिंदे सहित तीन आरोपियों की पुलिस रिमांड 25 जुलाई तक बढ़ा दी।

पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने की थी तीन आरोपियों की गिरफ्तारी

पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने अष्टविनायक के वित्तीय प्रबंधक 30 वर्षीय प्रसाद शिंदे (कोंढवा बुद्रुक), 25 साल के अजय खडसे (वधू बुद्रुक) और 35 साल के नितिन शिंदे (नेता जीनगर, वानवोरी) को 17 जुलाई को करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। कथित तौर पर अगस्त 2020 से फरवरी 2023 के बीच पुणे में अष्टविनायक इन्वेस्टमेंट के संस्थापक सेल्वा नादर को इस पूरे स्कैम का मास्टरमाइंड बताया गया था।

पुलिस अधिकारी ने आरोपियों से और अधिक पूछताछ की जरूरत पर दिया जोर

पुलिस अधिकारी ने कहा कि बैंकों के लिए निदेशक विक्रय एजेंट (DSA) खडसे से लोन देने की प्रक्रिया के बारे में पूछताछ की जानी चाहिए। इसके अलावा योजना में लालच में आए ग्राहकों का डेटा खरीदने के आरोपी नितिन शिंदे से यह पता लगाने के लिए पूछताछ की जानी चाहिए कि क्या उन्होंने किसी अन्य वित्तीय फर्म को डेटा की आपूर्ति की है। हालाँकि, बचाव पक्ष के वकीलों ने तर्क दिया कि आरोपी व्यक्तियों से चार दिनों तक पूछताछ की गई है और उन्होंने जांच एजेंसी को अपने बैंक विवरण सहित जानकारी प्रदान करके सहयोग किया है।

शिंदे के वकील हृषिकेश सुभेदार की दलीलों को जज ने किया खारिज

शिंदे के वकील हृषिकेश सुभेदार ने कहा, “सेल्वा नादर पर मेरे मुवक्किल का कुछ महीनों का वेतन बकाया है। अगर उसे उसका पता मालूम होता तो वह जाकर अपना बकाया वेतन ले आता। गिरफ्तारी से पहले ही उसने पुलिस को बैंक स्टेटमेंट उपलब्ध करा दिए थे। भले ही नए पीड़ित सामने आएं, बयान वही रहेंगे। इसलिए मेरे मुवक्किल से आगे हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है।” जज नांदेकर ने फैसला सुनाया कि हिरासत दिए जाने के बाद से मामले में हुई प्रगति और अपराध की गंभीर प्रकृति को देखते हुए तीनों आरोपियों की हिरासत बढ़ाया जाना उचित है।

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सेशन जज नांदेकर ने अपने आदेश में क्या- क्या कहा

जज नांदेकर ने अपने आदेश में कहा, “जांच के इस चरण में गिरफ्तार आरोपियों की भूमिकाओं को अलग नहीं किया जा सकता है। इस तरह की उदारता की धोखाधड़ी को संभव बनाने के लिए सभी आरोपी व्यक्तियों के दिमाग एक साथ आ गए होंगे। इस प्रारंभिक चरण में अदालत जांच अधिकारी द्वारा बताए गए विवाद और संदेह को खारिज नहीं कर सकती है और अदालत अधिकारी को जड़ तक जांच करने का अवसर देने से इनकार नहीं कर सकती है।”