उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एसटीएफ ने 10 हजार की कीमत वाले डिवाइस लगाकर नकल करवाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। बता दें कि यह गिरोह अगल-अगल परीक्षाओं में नकल कराने का काम कराते थे और परीक्षा देने वाले छात्रों से भारी रकम वसूलते थे। एसटीएफ को इनके पास से डिवाइस के साथ नकल में वसूले 1.25 करोड़ के चेक और अहम कागजात भी बरामद किए हैं। वहीं इस मामले की शिकायत एसटीएप ने शिवकुटी थाने में दर्ज कराई है।
1 अक्टूबर को नकल कराने की थी योजनाः एसटीएफ के अनुसार, उनके प्रयागराज की यूनिट को खबर मिली थी कि एक गिरोह के लोग 1 अक्टूबर को होने वाली उत्तर प्रदेश सबऑर्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन कमीशन (यूपीएसएसएससी) की एक परीक्षा में नकल कराने की योजना बना रहे हैं। सूचना के आधार पर पुलिस मौके पर पहुंची और आगू गोदाम तिराहे के पास से आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान अहमद अली, अरुण यादव, संदीप यादव, मो. शफीउल्लाह और अमन सरोज के रुप में हुई है। बता दें कि परीक्षा लोअर सबऑर्डिनेट 2019 के लिए ये नकल करवाने वाले थे।
गिरोह के सरदार ने किए बड़े खुलासेः गिरोह के सरदार अहमद अली से पूछताछ के बाद कई अहम बाते निकल कर सामने आई हैं। गिरोह के मुखिया ने बताया कि परीक्षा देने वाले छात्रों को इलेक्ट्रानिक डिवाइस से लैस शर्ट दिया जाता था। वह डिवाइस को उसमें लगे सिम कार्ड से संपर्क किया जाता था। इसके साथ छात्रों को एक इयरफोन भी दिया जाता था। बता दें कि दोनों डिवाइस की खूबी यह थी कि उन्हें आसानी से देखा नहीं जा सकता है। बता दें कि डिवाइस परीक्षा में आए सवालों को कैमरे से स्कैन कर गिरोह के पास भेजता था और वहां से सही जवाब छात्रों को इयरफोन से दिया जाता था। मुखिया ने यह भी बताया कि इसके माध्यम से एक साथ 50 छात्रों को नकल कराया जा सकता है। वे इन डिवाइस को 10 हजार में दिल्ली से मंगवाते हैं।
गिरोह परीक्षाओं में बैठाता था सॉल्वरः पूछताछ पर यह भी खुलासा हुआ कि यह गैंग परीक्षाओं में सॉल्वर बैठाने का भी काम कराते थे। इसके लिए छात्रों से मोटी रकम भी लेते थे। गैंग के मुताबिक, परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के फोटो और सॉल्वर की फोटो को मिक्स कर ये एक नया फोटो बनाते थे। इसके बाद मिक्स फोटो को एडमिट कार्ड पर लगाते थे और ऐसे परीक्षा दिलवाते थे। उन लोगों ने यह भी बताया कि वे इसके लिए एजेंसियों के कई कर्मचारियों से भी मिले हुए थे। यह कर्मचारी थंब इंप्रेशन आदि करवाते थे जिसके लिए उन्हें भी पैसे दिए जाते थे।
