यूपी के प्रयागराज के दारागंज थाना क्षेत्र में गंगा किनारे स्थित पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में रविवार की सुबह एक साधु ने लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर आत्‍महत्‍या कर ली। इससे साधु-संन्यासियों में खलबली मच गई। सूचना पर पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और जांच-पड़ताल शुरू की। शव को कब्‍जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस का कहना है कि साधु शराब के लती थे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि भी घटना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि साधु की आत्महत्या से हतप्रभ हूं। वह बहुत सरल स्वभाव के थे।

उत्तराखंड के रहने वाले थे :  निरंजनी अखाड़ा दारागंज में गंगा तट पर स्थित है। अखाड़े में महंत आशीष गिरि (40) कई साल से रह रहे थे। वह मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले थे। पुलिस का कहना है कि साधु काफी समय से बीमार थे। इसी से तंग आकर उन्होंने रविवार सुबह करीब नौ बजे लाइसेंसी पिस्टल से माथे के पास खुद को गोली मारकर जान दे दी। गोली की आवाज सुनकर अखाड़े के अन्‍य साधु-महंत मौके पर पहुंचे तो आशीष को खून से लथपथ पड़े देखा। उनके हाथ में लाइसेंसी पिस्‍टल भी देखी।

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साधु-संन्यासियों में मची खलबली : अखाड़े में साधु की इस तरह आत्महत्या करने से साधु-संन्यासियों में खलबली मच गई। जानकारी पर आसपास के दूसरे अखाड़ों के साधु भी वहां पहुंच गए। उन्होंने इसकी सूचना तुरंत दारागंज थाने में दी गई। मौके पर थाने की फोर्स के अलावा पुलिस के उच्च अधिकारी भी पहुंचे। पुलिस ने वहां मौजूद साधु-संन्यासियों से घटना के बारे में पूछताछ की। बाद में शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

पुलिस ने कहा, शराब के लती थे महंत : एसपी सिटी बृजेश श्रीवास्तव के मुताबिक साधु आशीष शराब के लती थे। ज्यादा शराब पीने से उनका लिवर खराब हो गया था। जांच के दौरान घटनास्‍थल पर उनकी मेडिकल रिपोर्ट भी मिली। उससे भी उनके बीमार रहने और लीवर खराब होने की इसकी पुष्टि हुई है। संभवत: इसी वजह से परेशान होकर उन्होंने जान दे दी। साधु का कोई परिवार नहीं था। अखाड़े में ही वह सबके साथ रहा करते थे।