सीबीआई ने चंडीगढ़ स्थित एक कंपनी के मालिक के साथ-साथ एक भारतीय रक्षा लेखा सेवा (IDAS) अधिकारी, दक्षिण पश्चिमी कमान, जयपुर में तैनात एक जूनियर अनुवादक, यूनिट 365, बीकानेर कैंट, राजस्थान में दो सेना अधिकारियों और एक निजी फर्म पर मामला दर्ज किया है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए कार्य अनुबंध प्राप्त करने के लिए रिश्वत देने और प्राप्त करने वाले लोगों पर चंडीगढ़ सेक्टर 30 स्थित भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) में एफआईआर दर्ज की गई थी।
कौन-कौन हैं आरोपी? सेना के दोनों अधिकारियों के रैंक का खुलासा नहीं
चंडीगढ़ के सेक्टर 17 के आनंद कॉम्प्लेक्स में स्थित कंपनी मेसर्स एमके एजेंसीज के मालिक पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। उसकी पहचान जतिंदर सिंह बेदी के रूप में की गई। वह सीसीटीवी कैमरे, मेटल डिटेक्टर और वाटर प्यूरिफायर सहित सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति का काम करता है।
अन्य आरोपियों की पहचान आईडीएएस अधिकारी उमा शंकर प्रसाद कुशवाह एक एकीकृत वित्तीय सलाहकार (आईएफए) हैं, विजय नामा दक्षिण पश्चिमी कमान, जयपुर में एक कनिष्ठ अनुवादक हैं, सेना के दो अधिकारी संदीप राजपूत और यूनिट 365 के देव कुमार शर्मा के रूप में की गई। जांच एजेंसी ने सेना के दोनों अधिकारियों के रैंक का खुलासा नहीं किया है। इनके अलावा एक आरोपी राजेंद्र सिंह जयपुर, राजस्थान में मेसर्स तनुश्री सर्विसेज चलाते हैं।
पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में दर्ज की गई थी एफआईआर
एक सीबीआई अधिकारी ने कहा, “बीकानेर कैंट की यूनिट 364 में सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति में कथित अनियमितताओं पर पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में एफआईआर दर्ज की गई थी। जांच के दौरान रिश्वत के लेन-देन की पुष्टि हो गई है।” सूत्रों ने कहा, “जतिंदर सिंह बेदी और आईडीएएस अधिकारी उमा शंकर प्रसाद कुशवाह के बीच विजय नामा, राजिंदर सिंह, संदीप राजपूत और देव कुमार शर्मा के माध्यम से रिश्वत के पैसे के लेनदेन की पुष्टि करने वाली गुप्त सूचना के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी।”
एफआईआर को लेकर फर्मों के बीच कंपटीशन का जिक्र
सूत्र ने कहा, “बेदी अभी तक जांच में शामिल नहीं हुए हैं, उन्होंने सेना अधिकारी संदीप राजपूत के खाते में 49,500 रुपये ट्रांसफर किए थे, जिन्होंने आगे पैसे कुशवाह को सौंप दिए थे। कुशवाह ने सिंह के माध्यम से बेदी से अपने घर के किराए के बराबर राशि भी प्राप्त की थी। वह कुशवाह के अधीन काम करने वाले संदिग्ध विजय नामा के लगातार संपर्क में था। हालाँकि, मेसर्स एमके एजेंसीज़ में बेदी के बिजनेस पार्टनर मंदीप सिंह ने कहा, “एफआईआर हमारी फर्म और प्रतिद्वंद्वी फर्मों के बीच गलतफहमी या पेशेवर प्रतिद्वंद्विता का परिणाम हो सकती है। हम सभी गलतफहमियां दूर कर रहे हैं।”
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गर्मी की छुट्टियाँ मनाने परिवार के साथ बाहर गए हैं बेदी
मंदीप सिंह ने कहा, “हम लगभग तीन दशकों से सुरक्षा उपकरण और जल शोधन कार्य आदि प्रदान करने वाली अपनी एजेंसी चला रहे हैं। हम नियमित रूप से आयकर आदि का भुगतान करते हैं। हम किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। चूँकि गर्मी की छुट्टियाँ चल रही हैं तो बेदी अपने परिवार के साथ बाहर गए हुए हैं। वह अगले सप्ताह लौटेंगे।”