उड़ीसा का एक गैंगस्टर जिसने पहले कभी पेट पालने के लिए रिक्शा चलाया और फिर अपराध की दुनिया में आने के बाद खूब आतंक मचाया। लेकिन जुर्म ऐसा दलदल है, जहां एक दिन मृत्यु निश्चित है। कुछ ऐसा ही कुख्यात गैंगस्टर शेख हैदर के साथ भी हुआ था।

उड़ीसा के केंद्रपाड़ा में पैदा हुए हैदर का नाम 90 के दशक में खूब सुना गया। साल 1990 से 2000 के बीच उसने प्रदेश भर के कई हिस्सो में अपहरण और हत्याओं को बड़े स्तर पर अंजाम दिया। पुलिस प्रशासन ने जब उसके ऊपर निगरानी शुरू की तो पता चला कि पहले वह साल 1980 के करीब केंद्रपाड़ा में ही रिक्शा चलाया करता था और बाद में स्थानीय बदमाश रबिन के साथ काम करने लगा था।

स्थानीय बदमाश रबिन उन दिनों इलाके में चोरी, लूटपाट और फिरौती वसूलने का काम करता था। रबिन की इस गैंग में सैयद उस्मान उर्फ टीटो और सुलेमान नाम के दो और बदमाश थे, जो अपराध के दांव-पेंच सीख रहे थे। कुछ सालों बाद जब रबिन की हत्या कर दी गई तो टीटो गैंग का मुखिया बना। लेकिन तीनों की आपसी दुश्मनी के चलते ही सुलेमान की हत्या हो गई।

साल 1991 में शेख हैदर का नाम लोगों की जुबान पर तब चढ़ा, जब हैदर ने बुल्ला सेठी नाम के बड़े बदमाश को केंद्रपाड़ा के कोर्ट परिसर में मार गिराया। इस हत्या के कुछ सालों तक हैदर ने कई अपहरण व हत्याओं को अंजाम दिया। बड़े दिनों से बचते आए हैदर को 1997 में एक दिन पुलिस ने घेर लिया लेकिन भारी मुठभेड़ के बाद भी वह बच निकला था।

एनकाउंटर में बच निकलने के दो साल बाद 1999 में शेख हैदर और टीटो एक साथ मिल गए, लेकिन इलाके में वर्चस्व और सरकारी ठेकों को हथियाने में फिर से खाई पैदा हो गई। शेख हैदर ने 2001 में टीटो का साथ छोड़ दिया और फिर साल 2005 में उसने सुलेमान के भाई की हत्या करवा दी। इस हत्या के मामले में उसे जेल भेज दिया गया और 2011 में आए फैसले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

साल 2005 से लगातार जेल में बंद रहा हैदर सलाखों के पीछे रहते हुए भी अपने गुर्गों के सहारे आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया करता था। ऐसे में पुलिस प्रशासन को बार-बार उसकी जेल बदलनी पड़ती थी। साल 2021 में मार्च महीनें में उसकी तबियत बिगड़ी तो उसे जेल से कटक के मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन 10 अप्रैल 2021 को अपनी सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को नशीली बिरयानी खिलाकर हैदर भाग निकला।

हैदर के फरार होने के बाद 6 पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया गया और उसे पकड़ने के लिए स्पेशल ऑपरेशन चलाया गया। आखिरकार वह तेलंगाना के हैदराबाद से दबोच लिया गया और चौदर जेल भेज दिया गया। गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद ही उसे चौदर जेल से मयूरभंज जेल में ले जाया जा रहा था। पुलिस ने बताया कि रास्ते में उसने पेशाब करने के बहाने से गाड़ी रुकवाई और फिर भागने लगा। जब हमने रुकने के लिए कहा तो वह नहीं माना और मारा गया।

हैदर की मौत के बाद उसकी पत्नी ने एनकाउंटर पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि, ‘उसके पति को जानबूझ कर मारा गया है, क्योंकि उसे कहीं और शिफ्ट करने की सूचना परिवार को दी ही नहीं गई थी।’